लोकायुक्त की नजर में आयें भ्रष्ट प्रिंसिपल डॉ. सलिल श्रीवास्तव, बढ़ी बेचैनी
राजकीय मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य से जुड़ा मामला, भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम को मिली बड़ी कामयाबी, बचाव की साजिशें होंगी नाकाम

बृजेश उपाध्याय
सुलतानपुर।-: राजकीय मेडिकल कॉलेज में लंबे समय से चल रहे भ्रष्टाचार के विरुद्ध जनदबाव और सतत शिकायतों के बाद अब शासन ने बड़ा कदम उठाया है। कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. सलिल श्रीवास्तव के खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला सीधे लोकायुक्त तक पहुंच गया है। शासन स्तर से अलग से आरम्भ हुई जांच से घबराए प्रिंसिपल ने स्वयं को बचाने के लिए कई स्तरों पर कूचक्र रचना शुरू कर दिया, मगर अब तक की हर चाल उलटी पड़ती नजर आ रही है। प्रिंसिपल ने अपने करीबी, कमाऊ और स्वाजातीय लिपिक को आनन-फानन में रिलीव कर बचाव की कोशिश की। साथ ही, चिकित्सकों के एक समूह और पुलिस की सांठगांठ से मामले को दबाने की भी कोशिशें की गईं, लेकिन सच्चाई की राह में ये हथकंडे असफल साबित हुए। बचाव की इस कवायद में एक स्वाजातीय पत्तलकार को भी सक्रिय किया गया, लेकिन मीडिया की ईमानदार आवाजों और जनता की जागरूकता के चलते अब कोई भी प्रभाव या दबाव जांच को रोक नहीं सकता। गौरतलब है कि इस कार्रवाई ने उन लोगों को करारा जवाब दिया है जो पहले समाचार रुकवाने के लिए लाखों की डील का आरोप लगाकर सोशल मीडिया पर देर रात विधवा विलाप करते नजर आते थे। कथित “लाश और कफन के सौदागर” अब बेनकाब हो रहे हैं। इस पूरी घटना ने एक बार फिर साबित किया है कि जब जनता जागती है और निर्भीक पत्रकारिता अपना फर्ज निभाती है, तो बड़े से बड़ा भ्रष्ट तंत्र भी चारों खाने चित हो सकता है…..।



