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सुप्रीम कोर्ट की SBI को फटकार- इलेक्टोरल बॉन्ड की डिटेल को लेकर सेलेक्टिव न बने

नई दिल्ली: इलेक्टोरल बॉन्ड मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एसबीआई यानी स्टेट बैंक ऑफ इंडिया को सोमवार को फिर फटकार लगाई और कहा कि वह ऐसे सेलेक्टिव नहीं हो सकता है. उसे चुनावी बॉन्ड संख्याओं का खुलासा करना ही होगा. सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि भारतीय स्टेट बैंक चुनिंदा रवैया नहीं अपना सकता और उसे चुनावी बॉन्ड की सभी संभावित जानकारियों का खुलासा करना पड़ेगा, जिसमें विशिष्ट बॉण्ड संख्याएं यानी यूनिक नंबर भी शामिल हैं, जिससे खरीदार और प्राप्तकर्ता राजनीतिक दल के बीच राजनीतिक संबंध का खुलासा होगा.

सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पांच सदस्यीय पीठ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉण्ड मामले में अपने फैसले में बैंक से बॉण्ड के सभी विवरण का खुलासा करने को कहा था तथा उसे इस संबंध में और आदेश का इंतजार नहीं करना चाहिए. पीठ में न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति बी आर गवई, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल हैं. पीठ ने सुनवाई के दौरान मौखिक रूप से कहा, ‘हमने एसबीआई से सभी जानकारियों का खुलासा करने के लिए कहा था जिसमें चुनावी बॉन्ड संख्याएं भी शामिल हैं. एसबीआई विवरण का खुलासा करने में चुनिंदा रुख न अपनाए.’

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पिछले सप्ताह न्यायालय ने देश के सबसे बड़े बैंक को अपने निर्देशों के अनुपालन में विशिष्ट अक्षरांकीय संख्या (यूनीक अल्फा-न्यूमेरिक नंबर) का खुलासा न करने के लिए ‘कारण बताओ’ नोटिस जारी किया था और कहा था कि एसबीआई उन संख्याओं के खुलासे के लिए ‘कर्तव्यबद्ध’ था. उच्चतम न्यायालय ने चुनावी बॉन्ड मामले में औद्योगिकी निकायों, एसोचैम और कन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री (सीआईआई) की गैर-सूचीबद्ध याचिकाओं पर सुनवाई करने से इनकार किया.

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सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड मामले में औद्योगिकी नियम, एसोचैम और कंफेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री (सीआईआई) की गैर-सूचीबद्ध आवेदनों पर सुनवाई करने से इनकार किया है. उसने बॉन्ड विवरण का खुलासा करने पर उसके फैसले की समीक्षा करने की मांग करने वाले सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) के अध्यक्ष के नोटिस पर विचार करने से भी इनकार कर दिया. सीजेआई ने एससीबीए अध्यक्ष से कहा, “आपने मेरी सुओ मोटो पावर को लेकर पत्र लिखा है, ये चीजें सिर्फ पब्लिसिटी के लिए हैं, हम इसमें नहीं पड़ेंगे.”

याचिकाकर्ता संगठन की ओर से पेश हुए वकील प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि प्रमुख राजनीतिक दलों ने दानदाताओं का विवरण नहीं दिया है, केवल कुछ दलों ने दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने 12 अप्रैल 2019 को एक अंतरिम आदेश देकर राजनीतिक दल, उन्हें मिले चंदे और आगे मिलने वाले चंदे के बारे में जानकारी एक सीलबंद लिफाफे में इलेक्शन कमीशन को देने के लिए कहा था.

पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने 15 फरवरी को एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए केंद्र की चुनावी बॉन्ड योजना को रद्द कर दिया था और इसे असंवैधानिक करार देते हुए इलेक्शन कमीशन को चंदा देने वालों, चंदे के रूप में दी गई राशि और प्राप्तकर्ताओं का 13 मार्च तक खुलासा करने का आदेश दिया था.

AZMI DESK

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