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कफ सिरप से बच्चों की मौत पर याचिका दाखिल करने वाले के बारे में ये बात सुनते ही CJI गवई बोले- डिस्मिस्ड…

कफ सिरप से बच्चों की मौत मामले में दाखिल याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी है. कोर्ट ने लगातार पीआईएल दाखिल करते रहने वाले याचिकाकर्ता वकील विशाल तिवारी की गंभीरता पर सवाल उठाते हुए ऐसा किया है.

याचिकाकर्ता ने दवाओं के निर्माण, परीक्षण और वितरण की व्यवस्था की सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज की निगरानी में जांच की मांग की थी. बच्चों की मौत की जांच सीबीआई को सौंपने की भी मांग याचिका में की गई थी.

याचिकाकर्ता की दलील
चीफ जस्टिस भूषण रामकृ्ष्ण गवई और जस्टिस के विनोद चंद्रन के सामने पेश हुए विशाल तिवारी ने कहा कि गलत दवाओं के बाजार में पहुंचने का यह पहला मामला नहीं है. सुप्रीम कोर्ट को मामले पर संज्ञान लेना चाहिए. इस मामले में कई बच्चों की मौत हो गई, लेकिन राज्य सरकारें एक-दूसरे की कमी गिना रही हैं.

‘राज्य सरकारें अपना काम कर रही हैं’
कोर्ट में मौजूद सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुनवाई में दखल दिया. मेहता ने कहा कि वह किसी राज्य के लिए पेश नहीं हो रहे हैं. वह यह कहने की कोशिश भी नहीं कर रहे हैं कि बच्चों की मौत गंभीर विषय नहीं है, लेकिन तमिलनाडु हो या मध्य प्रदेश, सभी राज्य कार्रवाई कर रहे हैं. इस बारे में कानून मौजूद हैं, उनके मुताबिक कार्रवाई हो रही है. लोगों की गिरफ्तारी की जा रही है. दवा को बाजार से हटाया गया है.

‘चर्चा में चल रहे हर मामले में याचिका’
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट का ध्यान याचिकाकर्ता विशाल तिवारी की गंभीरता की तरफ दिलाया. उन्होंने कहा कि जो भी विषय चर्चा में होता है, उसके बारे में मीडिया में देख कर यह याचिकाकर्ता तुरंत एक पीआईएल दाखिल कर देता है. इस पर चीफ जस्टिस ने विशाल तिवारी से पूछा कि उन्होंने कितनी पीआईएल दाखिल की हैं. तिवारी ने कहा, ‘शायद 8 या 10.’ इतना सुनते ही चीफ जस्टिस ने कहा, ‘डिसमिस्ड’ और याचिका को ठुकरा दिया.

AZMI DESK

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