चाईबासा में नो-एंट्री विवाद ने पकड़ा तूल, सड़क हादसों के आंकड़ों पर उठे सवाल

चाईबासा : पश्चिम सिंहभूम जिले के चाईबासा में नो-एंट्री विवाद अब जनआंदोलन का रूप ले चुका है। पिछले कई दिनों से शहर का माहौल तनावपूर्ण बना हुआ है। सड़क सुरक्षा को लेकर आंदोलन कर रहे लोगों का दावा है कि बीते एक साल में सड़क दुर्घटनाओं में 155 लोगों की जान गई है। वहीं, जिला प्रशासन ने इस दावे को पूरी तरह गलत बताते हुए कहा है कि जनवरी 2024 से अक्टूबर 2025 के बीच जिले में सड़क हादसों में सिर्फ 76 लोगों की मौत दर्ज की गई है। प्रशासन ने अपने आधिकारिक प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से यह जानकारी साझा की है।
प्रशासन द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, हाटगम्हरिया, झींकपानी, टोंटो और मुफस्सिल थाना क्षेत्रों में वर्ष 2024 में जनवरी से दिसंबर तक 23 और जनवरी से जुलाई 2025 के बीच 15 लोगों की मौत सड़क दुर्घटनाओं में हुई। वहीं, चाईबासा-जमशेदपुर मार्ग पर कुजु से बाईपास चौक के बीच एनएच-220 पर 2024 में छह और 2025 में दो लोगों की जान गई। गितिलपी चौक से बाईपास चौक के बीच 2024 में पांच और 2025 में दो मौतें दर्ज की गईं। जबकि गितिलपी चौक से जैतगढ़ के बीच 2024 में 12 और 2025 में 11 लोगों की मृत्यु सड़क हादसों में हुई है।
प्रशासन ने बताया कि दिसंबर 2024 से पहले चाईबासा–हाटगम्हरिया एनएच-75E और चाईबासा बाईपास सड़क पर नो-एंट्री व्यवस्था लागू थी। हालांकि, भारी वाहनों के शहर में खड़े रहने से ट्रैफिक जाम और दुर्घटनाओं की शिकायतें बढ़ने के बाद दिन में बड़े वाहनों के प्रवेश पर रोक लगा दी गई। इसके बावजूद कई स्थानों पर ट्रक दो से तीन कतारों में खड़े पाए जा रहे हैं, जिससे यातायात व्यवस्था लगातार प्रभावित हो रही है।
अधिकारियों ने कहा कि आंदोलनकारियों द्वारा बताए गए 155 मौतों का आंकड़ा भ्रामक है और यह स्पष्ट किया जाना जरूरी है कि यह आंकड़ा किस आधार पर तैयार किया गया। प्रशासन ने चेताया है कि गलत सूचना फैलाकर लोगों में भ्रम पैदा करने वालों पर कार्रवाई की जाएगी।
साथ ही, प्रशासन ने बताया कि शहर की ट्रैफिक समस्या के स्थायी समाधान के लिए करीब 14 किलोमीटर लंबी रिंग रोड का प्रस्ताव तैयार किया गया है। इस सड़क के निर्माण से भारी वाहनों को शहर में प्रवेश करने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी, जिससे दुर्घटनाओं की घटनाओं में और कमी आएगी।
हालांकि, रिंग रोड परियोजना का भी कुछ समूहों द्वारा विरोध किया जा रहा है, जिसे प्रशासन ने जनसुरक्षा और यातायात सुधार के प्रयासों में एक बड़ी बाधा बताया है।



