दिल्ली नजफगढ़ फायरिंग, जेल की दुश्मनी बनी खूनी खेल, मसूरी से शूटर गिरफ्तार

दिल्ली के नजफगढ़ इलाके में 28 अक्टूबर को हुई ब्लाइंड फायरिंग की गुत्थी को द्वारका जिला पुलिस ने सुलझा लिया है. एंटी ऑटो थेफ्ट स्क्वॉड (AATS) और एंटी नारकोटिक्स सेल की संयुक्त टीम ने दो शार्प शूटरों को उत्तराखंड के मसूरी से गिरफ्तार किया. जांच में सामने आया कि वारदात के पीछे जेल में हुआ एक पुराना झगड़ा था, जिसका बदला लेने के लिए यह हमला करवाया गया.
डीसीपी अंकित सिंह ने बताया कि, घटना 28 अक्टूबर की है. जिसकी सूचना पुलिस को PCR कॉल से मिली. कॉलर ने बताया कि नजफगढ़ के अरुण पार्क में फायरिंग हुई है. मौके पर पहुंची पुलिस को शिकायतकर्ता रोहित वहीं मौजूद मिला और पास ही 4–5 खाली कारतूस बिखरे हुए पाए गए. रोहित ने बताया कि जब वह अपने दोस्त संग बैठा था, तभी एक ब्रेज़ा कार आई, जिसमें से तीन युवक उतरे और उस पर फायरिंग कर दी. किसी तरह वह बच गया और हमलावर भाग निकले. शिकायतकर्ता के बयान के आधार पर नजफगढ़ थाने में संबंधित धाराओं के तहत केस दर्ज किया गया.
सीसीटीवी खंगाले गए, मुखबिरों को सक्रिय किया गया
डीसीपी ने बताया कि, मामले की गंभीरता को देखते हुए AATS द्वारका के इंस्पेक्टर कमलेश कुमार और एंटी नारकोटिक्स सेल के इंस्पेक्टर सुभाष चंद की अगुवाई में एक टीम का गठन कर आरोपियों की पहचान कर उनकी गिरफ्तारी का जिम्मा सौंपा गया. टीम ने घटनास्थल का मुआयना किया और आस-पास लगे सीसीटीवी फुटेज खंगाले. स्थानीय मुखबिरों और तकनीकी सर्विलांस के जरिये संदिग्धों की पहचान करने की कोशिश शुरू की गई.
मसूरी से दबोचे गए दोनों शूटर
जांच के दौरान 30 अक्टूबर को टीम को एक पुख्ता सूचना मिली कि फायरिंग में शामिल दो आरोपी उत्तराखंड के मसूरी में छिपे हुए हैं. टीम ने तकनीकी निगरानी से लोकेशन की पुष्टि की और तुरंत मसूरी के लिए रवाना हुई, जहां गुप्त सूत्र की निशानदेही पर छापेमारी कर पुलिस ने दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया. उनकी पहचान दिल्ली के दिचाऊं कलां के रहने वाले मनीष उर्फ मोनी (27 वर्ष) और यूपी के मुजफ्फरनगर निवासी हिमांशु (22 वर्ष) के रूप में हुई. यह वर्तमान में द्वारका में कंप्यूटर कोर्स कर रहा था.
जेल की दुश्मनी बनी फायरिंग की जड़
पूछताछ में पुलिस के सामने चौंकाने वाला सच सामने आया. दोनों ने बताया कि वे दीपक, जो पहले चोरी और लूट के मामलों में झज्जर जेल में बंद था और वहां उसकी रोहित लांबा (शिकायतकर्ता) से लड़ाई हुई थी. वह जेल से छूटने के बाद विदेश में रह रहे हिमांशु उर्फ बाहू के सम्पर्क में आया. हिंमाशु उर्फ बहु भी रोहित को रास्ते से हटाना चाहता था. उसी ने इस पूरे वारदात की योजना बनाई और इसके लिए मनीष और हिमांशु को चुना गया.
वारदात के बाद भागे बहादुरगढ़ से मसूरी
दीपक ने दोनों को रोहित की तस्वीर दी, उसकी गतिविधियों पर नज़र रखने को कहा और वारदात के बाद पैसे देने का वादा किया. पहले एक स्कॉर्पियो कार किराये पर ली गई, बाद में उसे बदलकर ब्रेज़ा ली गई, जिसे फायरिंग में इस्तेमाल किया गया. फायरिंग के तुरंत बाद आरोपी बापरोला-मुंडका होते हुए बहादुरगढ़ पहुंचे. वहीं दीपक और उसके साथी ने उन्हें कार लौटाने और उत्तराखंड निकल जाने के निर्देश दिए. इसके बाद दोनों आरोपी मसूरी पहुंचे, जहां पुलिस ने उन्हें धर दबोचा.
गिरफ्तारी के दौरान पुलिस ने आरोपियों के कब्जे से एक मोबाइल फोन बरामद किया जिससे वारदात की साजिश रची गई थी. फोन की जांच से हिमांशु उर्फ बाहू और आरोपियों के बीच सोशल मीडिया पर बातचीत की पुष्टि हुई है. इस मामले में आगे की जांच जारी है.



