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राजस्थान के भीलवाड़ा में साइबर ठगों की नई चाल, शादी के डिजिटल कार्ड से कर रहे हैं ठगी


राजस्थान के भीलवाड़ा शहर में सोशल मीडिया के ज़रिए साइबर ठगी का चौंकाने वाला मामला सामने आया है. यहां एक महिला मंडल व्हाट्सएप ग्रुप में आई एक “शादी का इनविटेशन लिंक” कई महिलाओं के लिए डिजिटल खतरा बन गया. जैसे ही ग्रुप में शादी का निमंत्रण कार्ड भेजा गया, करीब 150 से अधिक महिला सदस्यों ने इसे डाउनलोड कर लिया और इसके साथ ही शुरू हुआ साइबर हैकिंग का खेल. कुछ का व्हाट्सएप अनइंस्टॉल हो गया, तो कुछ के मोबाइल फोन कॉलिंग मोड के अलावा पूरी तरह बंद हो गए.

देश भर में  जब से ऑन लाइन बैंकिंग का प्रयोग बढ़ा है तब से हैकर्स ओर साइबर ठग कई नए नए हथकंडे अपनाकर आमजन की कड़ी मेहनत की कमाई को मिनटों में लूट रहे हैं. अब शादियों का सीजन शुरू हो रहा है, इसी के चलते एक दूसरे को निमंत्रण भी भेज जा रहे हैं. भाग दौड़ की जीवन शैली में सोशल मीडिया का उपयोग भी बढ़ गया है.

इसी के चलते अब हैकर्स ओर साइबर ठगों ने एक नया तरीका शादी का इनविटेशन लिंक”   इजाहत किया है और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर हैकर्स के जरिए शेयर कर आमजन को लाखों का चुना लगाने का काम शुरू किया है. लेकिन महिलाओं की सतर्कता और समझदारी ने शहर में साइबर ठगो के मंसूबों पर पानी फेरते हुए लाखों की ठगी होने से अपने आपको बचा लिया है.

इनविटेशन के नाम पर इंस्टॉल हुई ठगी की फाइल

भीलवाड़ा शहर में एक महिला मंडल के व्हाट्सएप ग्रुप में एक शादी का लिंक आता है, जोकि उसी ग्रुप की सदस्य महिला के नम्बर से दिखाई दिया. जिस पर ग्रुप की सदस्य रीना जैन ने बताया कि सुबह किचन में काम कर रही थी, तभी ग्रुप में शादी का कार्ड आया. मुझे लगा ललिता जी ने किसी रिश्तेदार का कार्ड भेजा है. जैसे ही क्लिक करने लगी, ग्रुप में तुरंत मैसेज आया कि ये लिंक फर्जी है. हमने एक-दूसरे को कॉल कर आगाह किया और हम ठगी से बच गए.

बुजुर्ग महिला का व्हाट्सएप रातों-रात गायब

इसी ग्रुप की दूसरी सदस्य ललिता खमेसरा के साथ हुआ डिजिटल फ्रॉड. बोलीं 16 अक्टूबर की रात मेरी फ्रेंड के नंबर से शादी का कार्ड लिंक आया. मैंने क्लिक किया, लेकिन कुछ ओपन नहीं हुआ. रात में 3 बजे कॉल आया, मैंने नहीं उठाया. सुबह देखा तो व्हाट्सएप गायब था.

जब ललिता ने बेटी से बात की, तो पता चला कि उनका फोन और “फोन पे” ऐप हैक हो चुका है. साइबर ठगों ने PIN बदलकर ₹1.5 लाख निकालने की कोशिश की, लेकिन SBI की सिक्योरिटी सिस्टम ने ट्रांजेक्शन रोक दिया. ललिता ने तुरंत बैंक जाकर अकाउंट से सारे पैसे निकाल लिए.

‘शादी का कार्ड’ बना वायरस ट्रोजन

महिला मंडल की एक और सदस्य ने बताया कि उनके मोबाइल से भी ग्रुप में वही लिंक भेजा जा रहा था, जबकि उन्होंने खुद कोई लिंक नहीं भेजा था. हमें तब समझ आया कि यह एपीके वायरस लिंक था, जो फोन में घुसकर अपने आप इंस्टॉल हो जाता है. महिलाओं ने पूरा फोन फॉर्मेट कर ठगी से खुद को बचाया.

भीलवाड़ा के अशोक जैन भी फंसे- पर चौकन्ने निकले

भीलवाड़ा के अशोक जैन के पास भी 29 अक्टूबर को ऐसा लिंक आया. लिंक खोलते ही मेरे फोन ने एपीके फाइल इंस्टॉल करने की परमिशन मांगी. मैंने तुरंत प्रोसेस रोक दी. बेटे ने देखा तो बताया, फोन हैक हो चुका था. करीब एक घंटे तक फोन साइबर ठगों के कब्जे में रहा.

साइबर पुलिस का अलर्ट: क्लिक करने से पहले सोचें दस बार

शहर में जिला पुलिस प्रशासन द्वारा समय समय पर साइबर ठगी से बचने के उपायों को लेकर नुक्कड़ नाटक और समाचार पत्रों में जागरूकता के विज्ञापनों से सतर्क रहने का आह्वान किया जाता रहा है. साइबर विशेषज्ञों के अनुसार, ऐसे लिंक एपीके फाइल के जरिए फोन का पूरा एक्सेस, बैंकिंग ऐप्स और कॉन्टैक्ट्स अपने कब्जे में ले लेते हैं. जरा-सी लापरवाही से पूरा डिजिटल जीवन खतरे में पड़ सकता है.

Input By : सुरेंद्र सागर

AZMI DESK

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