बिना FIR किसी को हिरासत में रखने पर HC सख्त, फर्रुखाबाद की SP आरती सिंह को दिया ये निर्देश

प्रयागराज में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर आज (14 अक्टूबर) अहम सुनवाई की. अदालत ने बिना एफआईआर दर्ज किए किसी व्यक्ति को हिरासत में रखने के मामले पर कड़ा रुख अपनाया है. मंगलवार को एसपी फर्रुखाबाद आरती सिंह अदालत में पेश हुईं. हाईकोर्ट उनके जवाब से संतुष्ट नहीं हुआ. इसके बाद अपर महाधिवक्ता ने जवाब दाखिल करने के लिए बुधवार तक का समय मांगा. अदालत ने तब तक आरती सिंह को प्रयागराज में ही रुकने का आदेश दिया.
कोर्ट ने निर्देश दिया है कि इस मामले से जुड़े अन्य पुलिस अधिकारी, जिन पर मानक उल्लंघन के आरोप हैं, वे भी प्रयागराज में ही मौजूद रहें. इस केस की अगली सुनवाई बुधवार दोपहर 12 बजे तय की गई है.
याची की पत्नी को बयान बदलने के लिए बनाया गया दबाव
अदालत ने पाया कि पुलिस ने याची की पत्नी प्रीति यादव को थाने बुलाकर दबाव में यह लिखवाया था कि उन्होंने कोई याचिका दाखिल नहीं की. पुलिस ने यही जानकारी कोर्ट में दी, जिससे अदालत को संदेह हुआ.
अदालत ने पुलिस की करवाई पर उठाए सवाल
कोर्ट को शक तब हुआ जब यह सामने आया कि प्रीति यादव ने खुद इलाहाबाद हाईकोर्ट जाकर फोटो आइडेंटिफिकेशन सेंटर पर पहचान करवाई थी और याचिका दाखिल की थी. इस पर कोर्ट ने एसपी आरती सिंह से स्पष्ट जवाब मांगा.
हाईकोर्ट में हुई लंबी सुनवाई, दर्ज हुआ बयान
आज दोपहर 2 बजे हुई सुनवाई में याची प्रीति यादव स्वयं उपस्थित हुईं. अदालत ने उनका बयान दर्ज किया. उन्होंने कोर्ट को पूरी घटना विस्तार से बताई. सुनवाई के दौरान एसपी आरती सिंह और पुलिस टीम कोई ठोस जवाब नहीं दे सकी.
कोर्ट ने जताई नाराजगी
जस्टिस जे.जे. मुनीर और जस्टिस संजीव कुमार की खंडपीठ ने प्रारंभिक रूप से एसपी फर्रुखाबाद को अवमानना का दोषी पाया. अदालत ने उनसे कई सवाल पूछे, परंतु वे किसी का भी संतोषजनक उत्तर नहीं दे सकीं.
अधिवक्ता के घर पुलिस कार्रवाई पर भी सवाल
सुनवाई के दौरान यह भी बताया गया कि फर्रुखाबाद के अधिवक्ता अवधेश मिश्रा के घर पुलिस ने दबिश दी थी, तोड़फोड़ की और मोबाइल व कैमरा भी छीन लिया. यह कार्रवाई इसलिए की गई क्योंकि उन्होंने ही याचिका दाखिल कराने में सहयोग किया था. अदालत ने इस घटना को भी गंभीरता से लिया.
याची की ओर से लगाए गए गंभीर आरोप
याचिका में प्रीति यादव और अन्य ने आरोप लगाया कि 8 सितंबर की रात करीब 9 बजे थाना प्रभारी अनुराग मिश्रा, सीओ राजेश द्विवेदी और चार-पांच पुलिसकर्मी जबरन घर में घुस आए और परिवार के दो सदस्यों को उठा ले गए.
एक हफ्ते तक हिरासत में रखने का आरोप
परिजनों का कहना है कि पुलिस ने दोनों को करीब एक हफ्ते तक हिरासत में रखा और 14 सितंबर की रात 11 बजे रिहा किया. छोड़े जाने से पहले उनसे जबरन लिखवाया गया कि वे पुलिस के खिलाफ कोई शिकायत नहीं करेंगे.
अगली सुनवाई बुधवार दोपहर 12 बजे
कोर्ट ने कहा कि जब तक राज्य सरकार और पुलिस पक्ष से स्पष्ट जवाब नहीं मिलता, सभी संबंधित अधिकारी प्रयागराज में ही मौजूद रहेंगे. मामले की अगली सुनवाई बुधवार दोपहर 12 बजे होगी.