हरियाणा: पनिहारी के पुल निर्माण पर विवाद, खट्टर सरकार की घोषणा पर सवाल, भ्रष्टाचार के लग रहे आरोप

सिरसा में हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री व केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर की घोषणा को सरकारी कर्मचारी और अधिकारी ठेंगा दिखा रहे हैं. मामला गांव पनिहारी का है, जहां घग्गर नदी पर 13 करोड़ 72 लाख रुपए की लागत से बनने वाले पुल को गलत दिशा में बनाया गया है.
ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि पनिहारी से अलीका को जोड़ने वाला पुल अधिकारियों की मिलीभगत से पनिहारी से रंगा रोड की ओर बना दिया गया. इस गड़बड़ी से दर्जनभर गांवों की मुख्य सड़क से कनेक्टिविटी टूट गई है और लोगों को अब लंबा रास्ता तय करना पड़ रहा है.
पुल की दिशा बदलने से टूटी गांवों की कड़ी
गांव पनिहारी के वार्ड नंबर 1 के निवासियों का कहना है कि पहले उनके घर से गांव तक की दूरी 1 किलोमीटर से भी कम थी, लेकिन अब पुल गलत दिशा में बनने से उन्हें करीब 10 किलोमीटर का चक्कर लगाना पड़ता है. ग्रामीणों ने बताया कि इस पुल का टेंडर गांव पनिहारी से गांव अलीका को जोड़ने के लिए पास हुआ था, पर निर्माण कार्य पनिहारी से रंगा रोड की ओर कर दिया गया. इससे पनिहारी, अलीका और आसपास के कई गांवों के लोगों का संपर्क टूट गया है. ग्रामीणों का आरोप है कि यह सब अधिकारियों की मिलीभगत से किया गया ताकि कुछ निजी हित पूरे किए जा सकें.
RTI से खुलासा, गलत जगह पर बनाया गया पुल
ग्रामीणों ने जब निर्माण कार्य में गड़बड़ी देखी, तो उन्होंने 17 जुलाई, 2025 को लोक निर्माण विभाग (PWD) से आरटीआई के माध्यम से जानकारी मांगी. विभाग से प्राप्त दस्तावेजों में यह पता लगा कि पुल का टेंडर पनिहारी से अलीका रोड के लिए पास हुआ था और इसमें कहीं भी गांव रंगा का उल्लेख नहीं था. इससे ग्रामीणों के आरोप और मजबूत हो गए कि पुल जानबूझकर गलत स्थान पर बनाया गया है. ग्रामीणों का कहना है कि अधिकारियों ने न केवल घोषणा की भावना के विपरीत काम किया बल्कि जनता के करोड़ों रुपए की परियोजना को भी गलत दिशा में मोड़ दिया.
पहले खुद बनाया था पुल, अब वो भी तोड़ा गया
ग्रामीणों ने बताया कि पुल निर्माण में देरी और अनदेखी से परेशान होकर उन्होंने पहले अपने निजी कोष से करीब 90 लाख रुपए की लागत से एक अस्थायी पुल बनाया था. लेकिन जब सरकार ने नया प्रोजेक्ट शुरू किया, तो अधिकारियों ने वह पुराना पुल भी तुड़वा दिया. ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने अपनी मेहनत और चंदे से यह पुल बनाया था ताकि स्कूल, अस्पताल और बाजार तक आसानी से पहुंच सकें, पर अब उनसे यह सुविधा भी छीन ली गई है. ग्रामीणों ने मांग की है कि सरकार जांच कर जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई करे और पुल का निर्माण मूल स्वीकृत स्थल पनिहारी-अलीका रोड पर कराया जाए.



