सूरत में 100 करोड़ के साइबर फ्रॉड का पर्दाफाश, ED ने डिजिटल अरेस्ट गैंग के मास्टरमाइंड को दबोचा, 4 गिरफ्तार

Azmi India News
ED ने सूरत में एक बड़े साइबर फ्रॉड और मनी लॉन्ड्रिंग केस में कार्रवाई करते हुए 4 आरोपियों को गिरफ्तार किया है. गिरफ्तार किए गए आरोपियों के नाम मकबूल अब्दुल रहमान डॉक्टर, काशिफ मकबूल डॉक्टर, महेश माफटलाल देसाई और ओम राजेंद्र पांड्या है.
यह केस 100 करोड़ रुपये से ज्यादा के साइबर फ्रॉड और उससे जुड़े अवैध पैसों की हेराफेरी से जुड़ा है. ED की जांच सूरत पुलिस की स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप की ओर से दर्ज की गई FIR के आधार पर शुरू हुई थी. इस FIR में मकबूल डॉक्टर और उनके सहयोगियों पर धोखाधड़ी की कई धाराओं में केस दर्ज किया गया था.
डिजिटल अरेस्ट के नाम पर लोगों से ऐंठते थे पैसे
ED की जांच में सामने आया कि मकबूल डॉक्टर, उनके बेटे काशिफ और बस्सम डॉक्टर, साथ ही महेश देसाई और ओम पांड्या मिलकर कई तरह के ऑनलाइन साइबर फ्रॉड करते थे. इनकी ठगी के तरीके बेहद चालाकी भरे थे. ये लोग डिजिटल अरेस्ट के नाम पर लोगों को डराते थे और फॉरेक्स ट्रेडिंग यानी विदेशी करेंसी ट्रेडिंग के नाम पर फर्जी निवेश ऑफर करते थे.
ED या सुप्रीम कोर्ट जैसी एजेंसियों के नकली नोटिस भेजकर आरोपी लोगों को धमकाते और उनसे पैसे वसूलते थे. फ्रॉड से कमाए गए पैसे को छिपाने और आगे बढ़ाने के लिए आरोपियों ने अपने कर्मचारियों और साथियों के नाम पर बैंक अकाउंट खुलवाए. इन अकाउंट्स का इस्तेमाल पैसा इकट्ठा करने और ट्रांसफर करने में होता था.
गिरफ्तारी के बाद चारों आरोपियों से पूछताछ जारी
इन अकाउंट्स को चलाने के लिए आरोपियों ने प्री-एक्टिवेटेड सिम कार्ड्स का भी गलत इस्तेमाल किया, ताकि ट्रांजैक्शन का कोई सीधा सबूत न मिले. ED की जांच में ये भी खुलासा हुआ है कि इन आरोपियों ने हवाला नेटवर्क के जरिए नकद रकम को क्रिप्टोकरेंसी में बदल दिया. इससे वे रेगुलेटरी एजेंसियों की नजर से बचने में कामयाब हो गए और 100 करोड़ रुपये से ज्यादा की रकम को देश के बाहर ट्रांसफर कर दिया गया.
गिरफ्तारी के बाद चारों आरोपियों को स्पेशल PMLA कोर्ट, अहमदाबाद में पेश किया गया. कोर्ट ने ED को 5 दिन की कस्टडी दी है, ताकि आगे की पूछताछ और जांच की जा सके. ED अब ये पता लगाने में जुटी है कि इस साइबर फ्रॉड गैंग से जुड़े बाकी लोग कौन हैं, पैसा कहां-कहां ट्रांसफर किया गया और कितना हिस्सा क्रिप्टो करेंसी में बदला गया. जांच एजेंसी को शक है कि ये देशभर में फैले एक बड़े साइबर नेटवर्क का हिस्सा है, जो डिजिटल अरेस्ट और ऑनलाइन निवेश स्कैम्स के जरिए आम लोगों को निशाना बना रहा है.
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