‘पुत्र ने अपना फर्ज नहीं निभाया’, पंडित छन्नूलाल की 13वीं को लेकर बेटा-बेटी में तनातनी

आजमगढ़ के सुर सम्राट पद्मविभूषण पं. छन्नूलाल मिश्रा के निधन के बाद पारिवारिक विवाद सामने आ गया है. पुत्री डॉ. नम्रता मिश्राा ने अपने बड़े भाई पं. रामकुमार मिश्रा पर परंपराओं से छेड़छाड़ करने का आरोप लगाया है.
उन्होंने कहा है कि पुत्र ने अपना फर्ज नहीं निभाया और पिताजी के निधन के बाद उनका अंतिम संस्कार भी रस्मों के अनुसार नहीं किया गया. लंबी बीमारी के बाद 2 अक्टूबर (गुरुवार) को पं. छन्नूलाल मिश्रा का निधन हुआ था. राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री ने उनके निधन पर शोक प्रकट किया था.
पं. छन्नूलाल की बेटी ने क्या बताया?
डॉ. नम्रता मिश्राा ने कहा कि पिताजी जैसे सनातनी व्यक्ति जिन्होंने अपना पूरा जीवन राम नाम लेकर बिताया, ऐसे व्यक्ति जिनका जीवन धर्म और अध्यात्म पर टिका था, उनकी तेरहवीं न होना और उनके अंतिम संस्कार का विधि-विधान अनुसार न होना बेहद कष्टदायक है.
उनका कहना है कि, पिताजी हमेशा चाहते थे कि उनका हर कार्य पूरे विधि-विधान और संस्कारों के साथ हो. वह प्रतिदिन शालिग्राम भगवान को स्नान कराकर भोग लगाते थे और अपने जीवन के आखिरी समय में भी रामधुन गा रहे थे.
नम्रता ने कहा कि क्या पिताजी ने कहा था कि उनका दाह संस्कार जींस और लाल या काला कुर्ता पहनकर किया जाए? क्या उन्होंने कहा था कि बाल नहीं कटवाना चाहिए? गंगा में स्नान न किया जाए?
बड़े भाई पर ब्राह्मण भोज न कराने के लगाए आरोप
नम्रता ने एबीपी न्यूज से बातचीत करते हुए बताया कि बड़े भाई ने ब्राह्मण भोज नहीं कराया, त्रिरात्रि में 13 पंडितों को बुलाया गया और लिफाफा पकड़ाकर भेज दिया गया. नम्रता मिश्राा ने बताया कि बड़े भाई ने भले ही पिता का अंतिम संस्कार सनातनी परंपरा के अनुसार नहीं कराया लेकिन अब वह 14 अक्टूबर को बनारस में छन्नू लाल मिश्रा के आवास पर विधि-विधानपूर्वक ब्रह्मभोज का आयोजन कर रही है.
ब्रह्म भोज में स्वर्गीय छन्नू लाल मिश्रा के पैतृक आवास आजमगढ़ जिले के विश्व प्रसिद्ध संगीत घराने हरिहरपुर गांव में अपने परिवार और गांव वालों को आमंत्रित करने के लिए आई हैं. नम्रता गांव के घर-घर में जाकर कार्ड देकर तेरहवीं में शामिल होने का अनुरोध कर रही हैं.
छन्नूलाल मिश्रा के गांव से लगाव के चलते कई बार उनकी पुत्री नम्रता मिश्राा की आंखों से आंसू छलक आए. गांव वाले भी भावुक हो गए.नम्रता ने बताया कि उनकी माताजी और बहन का निधन कोविड के समय हुआ था और उस समय तेरहवीं का अनुष्ठान कराना संभव नहीं हुआ था.
बेटी ने पिता की इच्छा का किया जिक्र
पिताजी हमेशा कहते थे कि उनकी पत्नी और बड़ी बहन की त्रिरात्रि हुई है, इसलिए उनकी आत्मा को शांति नहीं मिली होगी, अतः पिताजी के निर्देश पर एक साल में पिशाचमोचन के लिए पांच दिन का अनुष्ठान कराया गया. अब पिताजी का विधि-विधानानुसार संस्कार नहीं होने से कष्ट हुआ है. तीन रातें भी नहीं हुईं और लोगों ने काम निबटाकर सारी चीजें कर लीं. पिताजी का विधि- विधानानुसार कर्मकांड होगा. 14 तारीख को रोहनिया में पंडित जी के अंतिम आवास पर त्रयोदशी होगी.
नम्रता मिश्राा ने बड़े भाई के लगाए गए संपत्ति विवाद को सिरे से खारिज किया. कहा कि स्वर्गीय छन्नू लाल मिश्राा जी ने 4 साल पूर्व ही संपत्ति का बंटवारा कर दिया था. संपत्ति को लेकर कोई विवाद परिवार में नहीं है.
वहीं छन्नूलाल मिश्रा के पैतृक गांव हरिहरपुर के निवासी गांव के पूर्व प्रधान छन्नू लाल के भतीजे और पौत्र ने भी उनका अंतिम संस्कार सनातनी परंपरा के अनुसार न होने पर नाराजगी जताई. सभी का कहना है कि 14 अक्टूबर को वाराणसी में ब्रह्म भोज में शामिल होने के लिए बड़ी संख्या में हम लोग जाएंगे.