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आजमगढ़ में बिजली विभाग की लापरवाही से मौत का खेल, मखदुमपुर में हर दिन जलते तार, ग्रामीण दहशत में

मखदुमपुर ग्राम सभा में जर्जर बिजली तार से खतरा, कब सुधरेगी व्यवस्था? सरकार की लापरवाही पर ग्रामीण आक्रोशित,

आजमगढ़। ग्राम सभा मख़दूमपुर एवं विद्युत उपकेंद्र मोहम्मदपुर के अंतर्गत आने वाले कई गाँवों में बिजली की केबलें और खंभे वर्षों से जर्जर हालत में पड़े हैं। गलियों व मुख्य मार्गों पर ढीले, टूटे-फूटे तार किसी भी समय गिर कर बड़े हादसे का कारण बन सकते हैं। बारिश व तेज़ हवाओं के दौरान बार-बार चिंगारी निकलने और करंट फैलने की घटनाएँ हुई हैं, जिससे आम लोग दिनभर डर के साए में जी रहे हैं। स्थानीय लोगों का आरोप है कि कई बार विभाग को लिखित तथा मौखिक शिकायतें देने के बावजूद मरम्मत और वायर-बदलाव का काम नहीं हुआ। ग्रामीणों के अनुसार खासतौर पर बच्चे, बुजुर्ग और महिलाएँ अधिक जोखिम में हैं क्योंकि वे रोज़मर्रा के काम-काज के लिये इन रास्तों का उपयोग करते हैं।

पुराने हादसों के उदाहरण

  • स्थानीय रिपोर्टों के अनुसार आसपास के क्षेत्रों में बिजली की टूटती तार/लाइन के कारण करंट लगने जैसी घटनाएँ दर्ज हुईं, जिनमें कुछ मामलों में लोगों की मौत या गंभीर झुलसना भी हुआ।

(ग्रामीणों का कहना — ये घटनाएँ यह दर्शाती हैं कि विभाग की अनदेखी जीवन के लिये सीधे ख़तरा बन चुकी है।)

ग्रामीणों की मांग और चेतावनी

ग्रामीणों ने जिला प्रशासन और राज्य सरकार से तुरंत कदम उठाकर खतरनाक तारों की मरम्मत, खराब खंभों का बदलना और क्षेत्रीय निरीक्षण तेज़ करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यदि जल्द समाधान नहीं हुआ तो वे प्रशासन को जगाने के लिये सड़कों पर उतरकर आंदोलन करेंगे। विभाग और सरकार दोनों को जवाब देना होगा कि उपभोक्ताओं की जान की जिम्मेदारी कौन लेगा।

1. क्या सरकार को सिर्फ चुनाव में वोट चाहिए, सुरक्षा नहीं?

2. बिल चुकाने वाले उपभोक्ताओं को सुरक्षित बिजली क्यों नहीं दी जा रही?

3. कब तक ग्रामीण मौत के साए में जिंदगी जीते रहेंगे?

मोहम्मदपुर विद्युत उपकेंद्र क्षेत्र की यह स्थिति न केवल स्थानीय असुविधा है बल्कि सार्वजनिक सुरक्षा का गंभीर संकट बन चुकी है। प्रशासन यदि तत्काल हस्तक्षेप नहीं करता तो किसी भी छोटे-से-छोटे कारण से बड़ा दुखद हादसा हो सकता है — जिसका पूरा दोष विभागीय लापरवाही और शासन की उदासीनता पर जाएगा।

आज नहीं जागे तो कल हादसा तय है।
अब सवाल साफ है…
“जनता की जान सस्ती क्यों और विभाग की लापरवाही भारी क्यों?”

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