‘नीतीश कुमार को बोलने नहीं देना बिहार का अपमान’, NDA के घोषणा पत्र पर अशोक गहलोत का तंज

कांग्रेस ने शुक्रवार को बिहार विधानसभा चुनावों के लिए सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) का घोषणापत्र जारी करने के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को बोलने का मौका नहीं दिए जाने को ‘‘बिहार और बिहारियों का अपमान’’ करार दिया. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक गहलोत ने यहां संवाददाताओं से कहा कि राजग के घोषणापत्र जारी करने का कार्यक्रम केवल 26 सेकंड चला, क्योंकि नेताओं को पिछले 20 वर्षों के शासन को लेकर पत्रकारों के सवालों का सामना करने का डर था.
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी, भाजपा अध्यक्ष जे.पी. नड्डा, केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, जीतन राम मांझी, चिराग पासवान और अन्य सहयोगी दलों के नेता घोषणापत्र जारी कर तुरंत मंच से उतर गए. केवल उपमुख्यमंत्री वहीं रुके और पत्रकारों के कुछ सवालों का जवाब दिया.
नीतीश को नहीं बोलने अनुमति
गहलोत ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री को घोषणापत्र पर बोलने की अनुमति नहीं दी गई. उन्होंने सवाल किया कि क्या वे इस स्थिति में नहीं हैं कि घोषणापत्र पर कुछ बोल सकें? उन्होंने कहा कि मंच से यह घोषणा की गई कि नेताओं को चुनावी कार्यक्रमों में शामिल होने के लिए तुरंत निकलना है.
बिहारियों का बताया अपमान
कांग्रेस के राज्यसभा सांसद अखिलेश प्रसाद सिंह ने भी कहा कि नीतीश कुमार को घोषणापत्र पर बोलने नहीं दिया गया. यह बिहार और बिहारवासियों के प्रति अनादर है.
एनडीए ने लगाईं वादों की झड़ी
राजग के घोषणापत्र में एक करोड़ युवाओं को रोजगार, एक करोड़ ‘लखपति दीदी’ बनाने, चार और शहरों में मेट्रो सेवा शुरू करने, सात अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों, सात एक्सप्रेसवे, 10 औद्योगिक पार्क, केजी से पीजी तक निःशुल्क गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे अनुसूचित जाति छात्रों को प्रति माह 2,000 रुपए की सहायता राशि देने का वादा किया गया है.
कांग्रेस ने बताया झूठ का पुलिंदा
अशोक गहलोत ने कहा कि राजग का घोषणापत्र झूठ का पुलिंदा है. हम इसे अपनी जनसभाओं में मुद्दा बनाएंगे और पिछले 20 साल के शासन का रिपोर्ट कार्ड मांगेंगे. उन्हें प्रेस कांफ्रेंस की शुरुआत ही अपने रिपोर्ट कार्ड से करनी चाहिए थी.
राजद नेता तेजस्वी यादव ने भी घोषणापत्र पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह राजग का ‘जुमला पत्र’ है. दरअसल, इसे ‘सॉरी पत्र’ कहा जाना चाहिए क्योंकि इन 20 वर्षों में उन्होंने जनता के लिए कुछ नहीं किया. उन्हें जनता से माफी मांगनी चाहिए, क्योंकि उनके पास वादा करने के लिए कुछ नहीं बचा था, इसलिए यह कार्यक्रम केवल 30 सेकंड चला.



