अंजुमन इस्लामिया स्कूल का अनोखा फरमान जुम्मे की छुट्टी, रविवार को लगेगा स्कूल


जबलपुर अंजुमन इस्लामिया स्कूल ने एक ऐसा निर्णय लिया है जिसने पूरे शहर में चर्चा और विवाद दोनों को जन्म दे दिया है। स्कूल प्रबंधन ने शुक्रवार जुम्मे को अवकाश घोषित करते हुए रविवार को स्कूल लगाने का फरमान जारी किया है। यह जानकारी अभिभावकों को स्कूल के व्हाट्सएप ग्रुप के जरिए दी गई, जिसके बाद सोशल मीडिया और शहर के शैक्षणिक हलकों में यह विषय तेजी से चर्चा का केंद्र बन गया है क्या है नया फरमान स्कूल की ओर से जारी संदेश में स्पष्ट किया गया है कि अब से हर शुक्रवार को स्कूल बंद रहेगा और रविवार को नियमित कक्षाएं संचालित की जाएंगी जबकि यह सर्वविदित है कि पूरे देश में रविवार को सरकारी और गैर-सरकारी संस्थानों में साप्ताहिक अवकाश रहता है।
इस निर्णय की सूचना स्कूल प्रबंधन ने प्रिंसिपल के हवाले से दी है। संदेश में कहा गया है कि यह फैसला छात्रों की उपस्थिति और पढ़ाई पर सकारात्मक असर डालने के लिए लिया गया है।
प्रबंधन का तर्क — “जुम्मे की नमाज़ के चलते नहीं आते बच्चे अंजुमन इस्लामिया ट्रस्ट के अध्यक्ष ने इस निर्णय पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा हर शुक्रवार को जुम्मे की नमाज़ के कारण कई बच्चे स्कूल नहीं आते, जिससे शिक्षण कार्य प्रभावित होता है। बार-बार कक्षाओं में कम उपस्थिति रहने से पढ़ाई का नुकसान हो रहा था। इसी कारण हमने जुम्मे को छुट्टी और रविवार को स्कूल लगाने का निर्णय लिया है। हमारा उद्देश्य शिक्षा व्यवस्था को बाधित होने से बचाना है। प्रबंधन का कहना है कि स्कूल मुस्लिम बहुल क्षेत्र में स्थित है और शुक्रवार को स्थानीय स्तर पर अधिकांश बच्चे नमाज़ के कारण स्कूल नहीं पहुंच पाते। ऐसे में जुम्मे की छुट्टी देना एक “व्यवहारिक कदम” है।
अभिभावकों में असंतोष हालांकि इस निर्णय को लेकर कई अभिभावक नाराज़ हैं। उनका कहना है कि रविवार को छुट्टी पूरे परिवार के साथ बिताने का एकमात्र अवसर होता है।
एक अभिभावक ने कहा रविवार को जब पूरा शहर बंद रहता है, बच्चों को स्कूल भेजना न तो सुरक्षित है, न सुविधाजनक। यह निर्णय बच्चों और अभिभावकों दोनों के लिए परेशानी का कारण बनेगा। कई लोगों ने सोशल मीडिया पर सवाल उठाए हैं कि क्या किसी निजी स्कूल को धार्मिक कारणों से साप्ताहिक अवकाश बदलने का अधिकार है शिक्षा विभाग ने मांगी रिपोर्ट
इस मसले पर जब शिक्षा विभाग के अधिकारियों से बात की गई तो उन्होंने कहा कि उन्हें इस संबंध में कोई औपचारिक सूचना नहीं मिली है, लेकिन मीडिया में आई खबरों के बाद विभाग ने इस निर्णय पर जानकारी जुटाना शुरू कर दी है यदि स्कूल का यह निर्णय शिक्षा नियमों के विरुद्ध पाया गया, तो उचित कार्रवाई की जाएगी। साप्ताहिक अवकाश बदलने का अधिकार किसी स्कूल को मनमाने ढंग से नहीं है।”
धार्मिक परंपरा बनाम शिक्षा नीति
यह मामला सिर्फ एक स्कूल का नहीं, बल्कि एक बड़े सवाल को जन्म देता है —
क्या देश में किसी शैक्षणिक संस्था को धार्मिक आधार पर अपनी छुट्टियाँ तय करने की अनुमति दी जा सकती है?
शिक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि अगर एक स्कूल इस तरह का नियम लागू करता है, तो भविष्य में अन्य संस्थान भी धार्मिक कारणों का हवाला देकर छुट्टियों में बदलाव की मांग कर सकते हैं, जिससे शिक्षा व्यवस्था में असंतुलन की स्थिति बन सकती है।
शहर में चर्चा का विषय बना फैसला
अंजुमन इस्लामिया स्कूल का यह निर्णय अब शहर में बहस का मुद्दा बन चुका है। कुछ लोग इसे “व्यवहारिक निर्णय” बता रहे हैं, जबकि अधिकांश इसे “धार्मिक प्रभाव के आधार पर शिक्षा प्रणाली से खिलवाड़” मान रहे हैं अब देखना यह होगा कि शिक्षा विभाग इस पर क्या कदम उठाता है क्या स्कूल को यह निर्णय वापस लेने के लिए कहा जाएगा, या इसे “विशेष परिस्थिति” के रूप में मान्यता दी जाएगी।
जबलपुर से वाजिद खान की रिपोर्ट



