स्वास्थ्य

Delhi Air Pollution: दिल्ली की हवा को क्या चीज बनाती है जहरीला, पराली से लेकर धुआं तक… किस चीज के लिए क्या जिम्मेदार?


Delhi AQI levels: दिवाली के आसपास दिल्ली की हवा जहरीली होनी शुरू हो जाती है. सुबह-सुबह आसमान में धुंध और धुएं की चादर दिखती है, सांस लेना मुश्किल हो जाता है. इस वक्त राजधानी का एयर क्वालिटी इंडेक्स अक्सर 200 पार पहुंच जाता है, जो “बहुत खराब” से “गंभीर” श्रेणी में आता है. ऐसे में हमारे मन में सवाल आता है कि आखिर दिल्ली की हवा को जहरीली बना कौन रहा है, इसमें पराली, पटाखों के धुएं और बाकी किन चीजों का कितना योगदान है. चलिए आपको इसके बारे में विस्तार से बताते हैं.

पराली

भारत के कई राज्यों में पराली जलाने को लेकर कड़े नियम बनाए गए हैं. ऐसा इसलिए है क्योंकि दिल्ली की जहरीली हवा की सबसे बड़ी वजहों में से एक है पराली जलाना. हर साल पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में किसान फसल कटाई के बाद खेतों में बचे अवशेष (पराली) को जला देते हैं. सैटेलाइट इमेज के अनुसार, अक्टूबर से नवंबर के बीच पंजाब-हरियाणा में हजारों जगह पराली जलाने के मामले दर्ज होते हैं. यह धुआं हवा के रुख के साथ दिल्ली और NCR तक पहुंचता है. इस धुएं में मौजूद सूक्ष्म कण हवा में प्रदूषण के स्तर को कई गुना बढ़ा देते हैं, जिससे हवा बेहद खतरनाक हो जाती है. अक्टूबर और नवंबर के महीनों में दिल्ली में वायु प्रदूषण में पराली जलाने का योगदान 25 से 30 प्रतिशत के बीच होता है.

वाहन प्रदूषण

दिल्ली एक ऐसा शहर है, जहां आपको सुबह और शाम में भयावह जाम का सामना करना पड़ता है. ऐसा इसलिए है क्योंकि दिल्ली में हर साल औसतन साढ़े चार लाख वाहन रजिस्टर होते हैं. इनसे निकलने वाला कार्बन मोनोऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड और PM कण हवा में मिलकर स्मॉग बनाते हैं. Delhi Pollution Control Committee की रिपोर्ट के मुताबिक, सालभर दिल्ली के प्रदूषण में वाहनों का योगदान 20 से 25 प्रतिशत तक होता है. यानी कि अगर पराली नहीं भी जलाई जाती है, तो भी दिल्ली में प्रदूषण रुकने का नाम नहीं लेता.

इंडस्ट्रियल और कंस्ट्रक्शन डस्ट

दिल्ली और एनसीआर में चल रही लगातार निर्माण गतिविधियां भी हवा को खराब करने में बड़ी भूमिका निभाती हैं. कंस्ट्रक्शन साइट्स से उड़ने वाली धूल, सीमेंट और मिट्टी हवा में घुलकर PM10 कण बनाती है. इसके अलावा, NCR के इंडस्ट्रियल एरिया जैसे बवाना, नरेला, फरीदाबाद और गाजियाबाद से निकलने वाला स्मोक और सल्फर डाइऑक्साइड हवा में मिलकर और नुकसान पहुंचाता है.

आतिशबाजी

दिवाली के आस-पास छोड़े जाने वाले पटाखे थोड़े समय के लिए ही सही, लेकिन हवा में अचानक PM2.5, सल्फर और नाइट्रेट गैसें बढ़ा देते हैं. काफी लोग दिवाली के पटाखों को ही सारा दोष देते हैं, लेकिन इसका अकेले ही सारा योगदान नहीं होता है.

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Disclaimer: यह जानकारी रिसर्च स्टडीज और विशेषज्ञों की राय पर आधारित है. इसे मेडिकल सलाह का विकल्प न मानें. किसी भी नई गतिविधि या व्यायाम को अपनाने से पहले अपने डॉक्टर या संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

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AZMI DESK

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