क्यों रवांई-जौनसार में दीपावली मनाई जाती है एक माह बाद? जानिए इसके पीछे की ऐतिहासिक कहानी!

जहां पूरे देश में कार्तिक माह की अमावस्या पर दीपावली का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है, वहीं उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले की रवांई घाटी, जौनपुर और देहरादून के जनजातीय क्षेत्र जौनसार-बावर में यह त्योहार एक माह बाद मार्गशीर्ष माह में मनाया जाता है। स्थानीय लोग इसे “देवलांग” या “मंगसीर दिवाली” के नाम से जानते हैं। यह परंपरा सदियों पुरानी है, जिसके पीछे एक रोचक ऐतिहासिक कथा जुड़ी है।
गंगोत्री तीर्थ क्षेत्र के इतिहासकार और शोधकर्ता उमा रमण सेमवाल बताते हैं कि वर्ष 1627-28 में गढ़वाल नरेश महिपत शाह के शासनकाल के दौरान तिब्बती लुटेरों द्वारा सीमाओं पर लगातार हमले किए जा रहे थे। तब राजा ने अपने वीर सेनापति माधौ सिंह भंडारी और लोदी रिखोला के नेतृत्व में उत्तराखंड के चमोली के पैनखंडा और उत्तरकाशी के टकनौर क्षेत्र से एक विशाल सेना को तिब्बत की ओर भेजा।
यह अभियान माणा, नीती और चोरहोती मार्ग से होते हुए तिब्बत के छपराड़ (दापाघाट) तक पहुंचा, जहां दुश्मनों पर निर्णायक विजय प्राप्त की गई। किंतु उस समय युद्ध में गई सेना का महीनों तक कोई समाचार नहीं मिला। पूरा कार्तिक महीना बीत गया, दीपावली तक भी कोई खबर न आने से पूरा गढ़वाल शोक में डूब गया। लोग यह मान बैठे कि सेना तिब्बत में वीरगति को प्राप्त हो गई है।
इसी बीच एक दिन राजदरबार में यह संदेश पहुंचा कि माधौ सिंह भंडारी के नेतृत्व में विजयी सेना लौट रही है। राजा ने श्रीनगर में “बग्वाली जश्न” की तैयारी के आदेश दिए। उस समय दीपावली का पर्व बीत चुका था, इसलिए गढ़वाल के कई हिस्सों में उस विजय के उपलक्ष्य में एक महीने बाद दीपावली मनाई गई। तब से यह परंपरा **रवांई-जौनसार और जौनपुर क्षेत्रों में आज तक निभाई जा रही है।
स्थानीय निवासी **सोबन शर्मा बताते हैं कि हमारे पूर्वजों से चली आ रही इस परंपरा के अनुसार दीपावली मार्गशीर्ष मास में मनाई जाती है। इस अवसर पर हम अपने इष्ट देवी-देवताओं की पूजा करते हैं, पारंपरिक वेशभूषा धारण करते हैं और रासो व तांदी गीतों के साथ उत्सव मनाते हैं।”
उत्तरकाशी की पुरोला तहसील के कुफारा और धकाड़ा गांव ऐसे स्थान हैं, जहां कार्तिक दीपावली को त्योहार ही नहीं माना जाता। यहां के लोग केवल मंगसीर दिवाली को ही असली दीपोत्सव के रूप में मनाते हैं — ढोल-दमाऊं की थाप, लोकनृत्य और देवपूजन के साथ।



