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नक्सलमुक्त भारत की दिशा में ऐतिहासिक सफलता, सरकार और सुरक्षा एजेंसियों के अभियान से घटे नक्सल प्रभावित जिले


नक्सलमुक्त भारत की दिशा में केंद्र सरकार ने बड़ी उपलब्धि हासिल की है. नक्सलवाद से सबसे अधिक प्रभावित जिलों की संख्या अब 6 से घटकर आधी यानी सिर्फ 3 रह गई है. वर्तमान में केवल छत्तीसगढ़ के बीजापुर, सुकमा और नारायणपुर जिले वामपंथी उग्रवाद (LWE) से सबसे अधिक प्रभावित माने जा रहे हैं. वहीं, कुल वामपंथी उग्रवाद प्रभावित जिलों की संख्या भी 18 से घटकर केवल 11 रह गई है.

समाज की मुख्य धारा में लौटना चाहते हैं हजारों उग्रवादी

इस साल नक्सल मुक्त भारत के अभियान में सरकार और सुरक्षा एजेंसियों ने सफलता के कई नए रिकॉर्ड तैयार किए हैं. सुरक्षा बलों ने 312 वामपंथी कैडरों को ढेर किया है, जिनमें कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (माओवादी) महासचिव सहित पोलित ब्यूरो और केंद्रीय समिति के आठ सदस्य शामिल हैं. इसके अतिरिक्त 836 कैडरों को गिरफ्तार किया गया है और 1639 उग्रवादियों, जिनमें एक पोलित ब्यूरो और एक केंद्रीय समिति सदस्य भी है, ने आत्मसमर्पण कर मुख्यधारा में लौटने का निर्णय लिया है.

केंद्र और राज्य सरकार के बेहतर समन्वय से सफल हो रही कार्रवाई

केंद्र सरकार और सुरक्षा एजेंसी की ओर से उठाए गए कदमों के तहत सटीक खुफिया जानकारी के आधार पर अभियानों को अंजाम दिया गया. सुरक्षा वेक्यूम वाले क्षेत्रों में त्वरित कार्रवाई की गई और नक्सलियों के वित्तीय स्रोतों को पूरी तरह बंद किया गया. इसके साथ ही राज्य और केंद्र के बीच बेहतर समन्वय के माध्यम से माओवादी मामलों की त्वरित जांच और मुकदमे की कार्रवाई शुरू हो पाई.

केंद्र सरकार का ऐलान- 31 मार्च, 2026 तक भारत बनेगा नक्सल-मुक्त देश

सरकार का कहना है कि नक्सली हिंसा अब अपने अंतिम चरण में है. साल 2013 में जहां 126 जिलों में नक्सल-संबंधी घटनाएं दर्ज होती थीं, वहीं 2025 के मार्च तक यह संख्या घटकर केवल 18 जिलों तक सीमित रह गई. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने घोषणा की है कि 31 मार्च, 2026 तक नक्सलवाद की समस्या को पूरी तरह समाप्त कर भारत को नक्सल-मुक्त बनाने के लक्ष्य को प्राप्त किया जाएगा.

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AZMI DESK

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