हाईकोर्ट की दिल्ली सरकार को फटकार, कैदियों की पैरोल में देरी पर जताई नाराज

दिल्ली हाईकोर्ट ने एक हत्या के दोषी कैदी की पैरोल अर्जी पर फैसला न लेने के मामले में दिल्ली सरकार के अधिकारियों पर नाराजगी जाहिर की है. दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि अधिकारी लंबे समय से सजा काट रहे कैदियों के प्रति बिल्कुल भी संवेदनशील नहीं हैं और नियमों की अनदेखी कर रहे हैं.
दिल्ली हाईकोर्ट में जस्टिस नीना बंसल कृष्णा की बेंच ने कहा कि निर्धारित समय सीमा में पैरोल या फर्लो न देने से कैदियों में असंतोष और अशांति फैलती है, जिससे जेल का अनुशासन बिगड़ सकता है. अदालत ने कहा कि पैरोल का उद्देश्य कैदियों को अपने परिवार से जुड़ने, सामाजिक रिश्ते बनाए रखने और लंबे समय की कैद से उत्पन्न मानसिक तनाव को कम करने में मदद करना है.
‘पहले भी दिए निर्देश, नहीं हुआ सुधार’
दिल्ली हाईकोर्ट ने इस मामले को गंभीर मानते हुए दिल्ली सरकार के प्रमुख सचिव होम को 6 नवंबर को कोर्ट में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने का निर्देश दिया है. दिल्ली हाईकोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा कि पहले भी इस तरह के कई निर्देश दिए जा चुके हैं लेकिन अब तक कोई सुधार नहीं हुआ है.
मर्डर के मामले में दोषी कैदी ने मांगी थी पैरोल
मामला एक हत्या के दोषी कैदी से जुड़ा है जिसने 22 जुलाई को एक महीने की पैरोल के लिए आवेदन दिया था ताकि वह अपने परिवार से मिल सके और मानसिक तनाव से राहत पा सके. लेकिन एक महीने से अधिक बीत जाने के बाद भी अधिकारियों ने कोई निर्णय नहीं लिया.
कैदी को 4 हफ्ते की पैरोल देने का आदेश
इन तथ्यों को देखते हुए अदालत ने कैदी को 35 हजार रुपये के निजी मुचलके पर चार हफ्ते की पैरोल देने का आदेश दिया. साथ ही कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि कैदी हर रविवार को संबंधित थाने में हाजिरी लगाए और पैरोल समाप्त होने पर समय पर जेल लौट जाए.