Delhi Blast: किसी ने टैटू तो किसी ने चिथड़े बन चुके कपड़ों के सहारे मृतकों को पहचाना

दिल्ली में सोमवार (10 नवंबर) की शाम हुए धमाके में जान गंवाने वाले अपनों को पहचान पाना परिजनों के लिए आसान नहीं रहा. लाल किले के पास हुए धमाके में 12 लोगों को मौत हो चुकी है. मृतकों की पहचान में शरीर पर गुदे टैटू और चिथड़े हो चुके कपड़े उनके मददगार बने हैं.
लोकनायक जयप्रकाश नारायण (एलएनजेपी) अस्पताल के गलियारों में उन्होंने तब तक उम्मीद नहीं छोड़ी जब तक उस टैटू, फटी आस्तीन या नीली शर्ट ने उनकी सबसे बुरी आशंकाओं की पुष्टि नहीं कर दी. पीड़ितों में चांदनी चौक के एक दवा व्यवसायी 34 साल के अमर कटारिया भी शामिल हैं. उनका शरीर इतना झुलस गया था कि पहचानना मुश्किल था, लेकिन उनके परिवार ने शव पर बने टैटू देखकर पहचान की कि वह कटारिया हैं क्योंकि इस टैटू को उन्होंने माता-पिता और पत्नी को समर्पित कर बनवाया था.
कुछ अन्य लोगों के लिए तो कपड़े भी जीवित और मृत लोगों के बीच अंतिम कड़ी बन गए. इदरीस ने रात भर अपने 35 साल के रिश्तेदार मोहम्मद जुम्मन की तलाश की, जो बैटरी रिक्शा चालक था और चांदनी चौक की संकरी गलियों में यात्रियों को ले जाता था. जुम्मन के फोन का जीपीएस सिग्नल सोमवार रात करीब नौ बजे बंद हो गया था.
इदरीस ने कहा, ‘‘पुलिस ने हमें अस्पताल में पता करने को कहा, इसलिए हम एलएनजेपी गए लेकिन वह वहां नहीं था.’’ उन्होंने बताया, ‘‘अस्पताल में चार शव दिखाए गए लेकिन हम पहचान नहीं सके.’’
इदरीस ने बताया कि जब परिवार शास्त्री पार्क पुलिस थाना में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराने बैठा था, तभी एक फोन आया जिसने उनकी दुनिया ही बदल दी. उन्होंने बताया, ‘‘फोन करने वाले ने बताया कि शव मिला है आकर उसकी पहचान करें.’’
इदरीस ने बताया, ‘‘ शव के कुछ हिस्से गायब थे, जैसे पैर. हम जुम्मन को उसकी नीली शर्ट और जैकेट से पहचाना.’’
इदरीस ने बताया कि जुम्मन अपने परिवार का इकलौता कमाने वाला सदस्य था. उसकी पत्नी दिव्यांग है और रात भर वह उसके शव के पास बैठी रही, न हिल पा रही थी और न बोल पा रही थी. उन्होंने कहा, ‘‘उसके तीन बच्चे हैं. वह केवल पैंतीस वर्ष का था. वह हर दिन चांदनी चौक में रिक्शा चलाता था. अब उनके बच्चों का कोई नहीं है.’’
पंकज साहनी के परिवार के लिए रात अनहोनी की आशंका से शुरू हुई और अंतत: वही हुआ जिसकी उसे आशंका थी. उनके पिता राम बालक साहनी ने सबसे पहले रात 9.30 बजे टीवी पर विस्फोट की खबर देखी.
पंकज कैब चालक था और सोमवार शाम करीब 5.30 बजे पुरानी दिल्ली क्षेत्र में एक यात्री को छोड़ने के लिए घर से निकला था. राम बालक ने बताया, ‘‘मैंने उसे फोन करना शुरू किया लेकिन कोई जवाब नहीं मिला.’’ उन्होंने बताया, ‘‘मेरे दोस्तों ने भी कोशिश की, लेकिन उसका फोन नहीं मिल रहा था. हम विस्फोट स्थल पर पहुंचे, वहां पूरी तरह अफरा-तफरी मची हुई थी.’’
राम बालक ने कहा, ‘‘हम उसे खोजते रहे और फोन करते रहे, लेकिन तब तक कोई जवाब नहीं मिला.’’ उन्होंने बताया, ‘‘फिर पुलिस का फ़ोन आया और पूछा गया कि आपके बेटे ने क्या पहना है. मैंने बताया – शर्ट और नीली जींस.’’ इसके तुरंत बाद परिवार को एलएनजेपी अस्पताल बुलाया गया.
राम बालक ने कहा, ‘‘मैंने सोचा कि वे हमें घायल वार्ड में ले जाएंगे. लेकिन वे हमें उस जगह ले गए जहां शव रखे थे. मेरे एक रिश्तेदार ने अंदर जाकर पंकज की पहचान की.’’ उन्होंने मंगलवार को अपने बेटे का अंतिम संस्कार कर दिया.
पंकट की कार घटनास्थल के नजदीक ही मिली तो पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गई है. पिता ने बताया, ‘‘वह परिवार में एकमात्र कमाने वाला सदस्य था. हमारा वाहन क्षतिग्रस्त हो गया और बेटा भी चला गया.’’
लाल किले के पास की संकरी गलियों में क्षतिग्रस्त वाहन, फटे कपड़े और जली हुई धातु के टुकड़े अब भी मौजूद है. अस्पतालों और पुलिस थानों के बाहर रात बिताने वाले कई लोगों के लिए, सामान्य चीजें और निशान जैसे टैटू, कपड़ों के चिथड़े असहनीय पीड़ा दे गए हैं.



