‘यासीन मलिक को मिले मौत की सजा, बंद कमरे में हो सुनवाई’, NIA की याचिका पर दिल्ली HC सुनाएगी फैसला

दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार (10 नवंबर, 2025) को कहा है कि वह यासीन मलिक की मौत की सजा की मांग वाले मामले में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की बंद कमरे में सुनवाई की मांग पर विचार करेगा. जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (JKLF) प्रमुख और कश्मीर अलगाववादी नेता यासीन मलिक टेरर फंडिंग मामले में जेल में बंद है.
दिल्ली हाईकोर्ट ने NIA की उस याचिका पर विचार करने का फैसला किया, जिसमें बंद कमरे (इन-कैमरा) सुनवाई की मांग की गई है. हाई कोर्ट ने इसके लिए अगली सुनवाई 28 जनवरी, 2026 तय की है.
NIA ने दिल्ली हाई कोर्ट के किया अनुरोध
एनआईए ने अदालत से अनुरोध किया कि सुनवाई के लिए एक गैर-सार्वजनिक वर्चुअल कोर्ट लिंक उपलब्ध कराया जाए ताकि कार्यवाही आम जनता की पहुंच से बाहर रहे. एजेंसी का तर्क है कि मामला राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा है और सार्वजनिक सुनवाई से संवेदनशील जानकारियां लीक हो सकती हैं.
एजेंसी ने ट्रायल कोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी है जिसमें मलिक को आतंकी फंडिंग के आरोप में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी. एजेंसी का कहना है कि अपराध की गंभीरता को देखते हुए मौत की सजा ही उचित है.
जांच एजेंसी का अनुरोध उचित प्रतीत होता है- दिल्ली हाई कोर्ट
दिल्ली हाईकोर्ट की बेंच ने एनआईए की बंद कमरे में सुनवाई की मांग पर विस्तृत विचार करने का फैसला किया. कोर्ट ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा और गोपनीयता के मुद्दों को ध्यान में रखते हुए यह अनुरोध उचित प्रतीत होता है, लेकिन अंतिम फैसला बाद में लिया जाएगा. सुनवाई के दौरान मलिक के वकील ने इन-कैमरा प्रक्रिया का विरोध किया और कहा कि इससे पारदर्शिता प्रभावित होगी.
2017 टेरर फंडिंग केस से जुड़ा है पूरा मामला
यह पूरा मामला साल 2017 के टेरर फंडिंग केस से जुड़ा है, जिसमें मलिक पर हवाला, पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI से फंडिंग और जम्मू-कश्मीर में अशांति फैलाने के आरोप हैं. NIA ने दावा किया कि मलिक ने 1990 के दशक में कई हत्याओं और अपहरणों में भूमिका निभाई, जिसमें वायुसेना के चार अधिकारियों की हत्या भी शामिल है. एजेंसी ने सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों का हवाला देते हुए कहा कि ऐसे मामले रेयरेस्ट ऑफ रेयर श्रेणी में आते हैं और मलिक को मौत की सजा मिलनी चाहिए.
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