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‘हमेशा की तरह वो अपनी…’, नेहरू-इंदिरा से आडवाणी की तुलना वाले शशि थरूर के बयान पर कांग्रेस का पहला रिएक्शन


बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी की राजनीतिक विरासत पर शशि थरूर के हालिया बयान ने कांग्रेस के भीतर नई बहस छेड़ दी है. थरूर के बयान की आलोचना करते हुए कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने साफ कहा है कि पार्टी उनके इस विचार से पूरी तरह दूरी बनाती है. खेड़ा की प्रतिक्रिया ने संकेत दिया है कि थरूर की व्यक्तिगत राय को कांग्रेस की आधिकारिक लाइन नहीं माना जाएगा.

क्या कहा था शशि थरूर ने?
थरूर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा कि आडवाणी के लंबे सार्वजनिक जीवन को सिर्फ एक घटना से जोड़कर देखना सही नहीं है. उन्होंने कहा, ‘उनकी लंबी सेवा को एक ही घटना तक सीमित करना गलत है. जैसे नेहरूजी का करियर सिर्फ चीन युद्ध की हार से नहीं परिभाषित होता, और न ही इंदिरा गांधी का करियर सिर्फ आपातकाल से, वैसे ही आडवाणी जी को भी न्याय मिलना चाहिए.’

कांग्रेस ने कहा- थरूर की राय पूरी तरह व्यक्तिगत
पवन खेड़ा ने कहा कि शशि थरूर हमेशा अपनी राय खुद रखते हैं और कांग्रेस पार्टी उनके ताजा बयान से असहमत है. उन्होंने कहा, ‘हमेशा की तरह डॉ. शशि थरूर अपनी व्यक्तिगत राय रखते हैं और कांग्रेस पार्टी उनके हालिया बयान से पूरी तरह असहमत है.’ उन्होंने आगे कहा, ‘एक कांग्रेस सांसद और CWC सदस्य होने के बावजूद उनकी यह स्वतंत्रता ही कांग्रेस की विशिष्ट लोकतांत्रिक और उदार भावना को दर्शाती है.’

थरूर ने दी आडवाणी को जन्मदिन पर शुभकामनाएं देते हुए की थी तारीफ
थरूर ने आडवाणी को उनके 98वें जन्मदिन पर शुभकामनाएं देते हुए उनकी सार्वजनिक सेवा की प्रतिबद्धता की सराहना की. उन्होंने लिखा, ‘आदरणीय एलके आडवाणी जी को 98वें जन्मदिन की शुभकामनाएं! उनकी सार्वजनिक सेवा के प्रति निष्ठा, विनम्रता और सदाशयता तथा आधुनिक भारत की दिशा तय करने में उनकी भूमिका अमिट है. वे सच्चे राजनेता हैं जिनका जीवन प्रेरणादायक रहा है.’

सुप्रीम कोर्ट के वकील ने भी दी थी प्रतिक्रिया
थरूर के इस बयान पर सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता संजय हेगड़े ने आडवाणी की रथ यात्रा पर अपने तीखे विचार रखते हुए कहा- ‘रथ यात्रा कोई एक घटना नहीं थी. यह भारतीय गणराज्य के मूल सिद्धांतों को उलटने की लंबी यात्रा थी. इसने 2002 और 2014 जैसी घटनाओं की नींव रखी. जैसे द्रौपदी के अपमान ने महाभारत को जन्म दिया, वैसे ही रथ यात्रा की हिंसक विरासत आज भी देश की दिशा को प्रभावित कर रही है. अपनी ‘शर-शैया’ से भी उन्होंने राजधर्म का उपदेश नहीं दिया.’

AZMI DESK

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