EXPLAINED: 350 AIIMS, पूरी दुनिया को सालभर पेटभर खाना और 62 साल तक गरीबी खत्म, NVIDIA के $5 ट्रिलियन से क्या-क्या मुमकिन?

एक छोटी सी कंपनी जो कभी वीडिया गेम्स के ग्राफिक्स चिप्स बनाती थी, आज दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी बन गई. ये कहानी है एनवीडिया की, जिसकी वैल्यूएशन 29 अक्टूबर को पहली बार 5 ट्रिलियन डॉलर यानी 453 लाख करोड़ रुपए के पार पहुंच गई. सिर्फ सुनने से ही 5 ट्रिलियन डॉलर की रकम का अंदाजा नहीं होगा. इतना समझ लीजिए कि यह रकम पूरे भारत देश की इकोनॉमी से भी ज्यादा है. इससे पूरी दुनिया का पेट भर सकता है, गरीबी दूर हो सकती है और करोड़ों लोगों को छत मिल सकती है.
तो आइए ABP एक्सप्लेनर में समझते हैं कि आखिर 5 ट्रिलियन डॉलर रकम होती कितनी है, इतने पैसे में क्या-क्या खरीद सकते हैं और कैसे एनवीडिया दुनिया की सबसे महंगी कंपनी बन गई…
सवाल 1- एनवीडिया कंपनी क्या है और यह क्या-क्या बनाती है?
जवाब- एनवीडिया एक टेक्नोलॉजी कंपनी है, जो ग्राफिक्स प्रोसेसिंग यूनिट (GPU) के डिजाइन और मैन्युफैक्चरिंग के लिए जानी जाती है. 1993 में जेन्सेन हुआंग, कर्टिस प्रीम और क्रिस मालाचोव्स्की ने इसकी स्थापना की थी. इसका मुख्यालय कैलिफोर्निया के सांता क्लारा में है. एनवीडिया पहले से ही दुनिया की सबसे वैल्युएबल सेमीकंडक्टर फर्म है. इसके भारत में चार इंजीनियरिंग डेवलपमेंट सेंटर हैं, जो हैदराबाद, पुणे, गुरुग्राम और बेंगलुरु में स्थित हैं.
एनवीडिया गेमिंग, क्रिप्टोकरेंसी माइनिंग और प्रोफेशनल एप्लिकेशन्स के लिए चिप को डिजाइन और मैन्युफैक्चर करती है. इसके साथ-साथ व्हीकल्स, रोबोटिक्स और अन्य उपकरणों में भी उसके चिप सिस्टम का इस्तेमाल होता है. सेमीकंडक्टर को आप इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स का दिमाग समझिए. कंप्यूटर, लैपटॉप, कार, वॉशिंग मशीन, ATM, अस्पतालों की मशीन से लेकर हाथ में मौजूद स्मार्टफोन तक सेमीकंडक्टर चिप पर ही काम करते हैं. ये चिप एक दिमाग की तरह इन गैजेट्स को ऑपरेट करने में मदद करती है. इसके बिना हर एक इलेक्ट्रॉनिक आइटम अधूरा है. सेमीकंडक्टर चिप्स सिलिकॉन से बने होते हैं और सर्किट में इलेक्ट्रिसिटी कंट्रोल करने के काम आते हैं.
29 अक्टूबर को एनवीडिया का मार्केट कैप पहली बार 5.13 ट्रिलियन हो गया. एनवीडिया यह आंकड़ा पार करने वाली दुनिया की पहली कंपनी बन गई. एनवीडिया के बाद माइक्रोसॉफ्ट और एपल दुनिया की सबसे वैल्यूएबल कंपनी हैं. माइक्रोसॉफ्ट का मार्केट कैप 4.03 ट्रिलियन डॉलर यानी 356 लाख करोड़ रुपए है. वहीं ऐपल 4.02 ट्रिलियन डॉलर (355 लाख करोड़ रुपए) के साथ तीसरे नंबर पर है. चौथे नंबर पर गूगल 3.25 ट्रिलियन डॉलर (287 लाख करोड़ रुपए) और पांचवे पर अमेजन 2.45 ट्रिलियन डॉलर (216 लाख करोड़ रुपए) है.
सवाल 2- एनवीडिया का 5 ट्रिलियन डॉलर वाली कंपनी बनने की वजहें क्या?
जवाब- 7 बड़ी वजहों से एनवीडिया 5 ट्रिलियन डॉलर वाली कंपनी बनी…
- AI में ग्रोथ: चैटजीपीटी जैसे AI टूल्स के लिए एनवीडिया की H100 और ब्लैकवेल चिप्स सबसे तेज और जरूरी, हर बड़ी कंपनी यही चिप्स यूज कर रही.
- शेयर में तेजी: 2022 से अब तक कंपनी का शेयर 12 गुना बढ़ गया है. सिर्फ 3 महीने में कंपनी की वैल्यू 4 ट्रिलियन से 5 ट्रिलियन तक पहुंच गई.
- बड़े ऑर्डर: CEO जेन्सेन हुआंग ने 500 बिलियन डॉलर के AI चिप ऑर्डर का ऐलान किया. अमेरिका के लिए 7 सुपर कंप्यूटर बनाने का प्लान भी है.
- कंपनी पर भरोसा: इन्वेस्टर को लगता है कि AI का खर्चा आने वाले सालों तक बढ़ता रहेगा, इसलिए लगातार एनवीडिया में पैसा इन्वेस्ट कर रहे हैं.
- दुनिया में मुकाबला नहीं: AMD, इंटेल जैसे कॉम्पिटिटर्स हैं, लेकिन अब तक कोई कंपनी एनवीडिया जितनी तेज और भरोसेमंद चिप नहीं बना पाई है.
- अमेरिका-चीन टेंशन में फायदा: अमेरिका ने चीन को हाई-एंड चिप बेचने पर रोक लगाई है. इससे एनवीडिया अमेरिकी सरकार की पसंदीदा कंपनी बन गई.
- CEO की स्मार्ट लीडरशिप: जेन्सेन हुआंग ने कंपनी को सही समय पर AI की ओर मोड़ा. वो अब सिलिकॉन वैली के हीरो हैं और इन्वेस्टर को उन पर भरोसा है.
सवाल 3- आखिर यह 5 ट्रिलियन डॉलर का मतलब क्या है?
जवाब- आसान शब्दों में समझें तो एनवीडिया की मार्केट वैल्यू 5 ट्रिलियन डॉलर है यानी आज अगर कोई सारे शेयर्स खरीद ले तो इतना खर्च आएगा. नवंबर 2022 में ChatGPT के लॉन्च के बाद से एनवीडिया के शेयर्स 12 गुना बढ़ चुके हैं. 29 अक्टूबर को एनवीडिया के शेयर ने 4.5% की तेजी के साथ 210 डॉलर यानी 18,534 रुपए पर कारोबार किया.
एनवीडिया की वैल्यू क्रिप्टोकरेंसी मार्केट (4.9 ट्रिलियन डॉलर) से ज्यादा है और यूरोप के स्टॉक्स इंडेक्स का आधा है. इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड (IMF) के मुताबिक, एनवीडिया की वैल्यू भारत की GDP 4.13 ट्रिलियन डॉलर (364 लाख करोड़ रुपए) से करीब 90 लाख करोड़ रुपए ज्यादा है. एनवीडिया ने जापान (4.1 ट्रिलियन डॉलर) और यूके (3.7 ट्रिलियन डॉलर) को भी पीछे छोड़ दिया.
सवाल 4- 5 ट्रिलियन डॉलर की रकम कितनी बड़ी है, जो हर तरफ एनवीडिया की चर्चा हो रही?
जवाब- वैसे तो यह रकम इतनी बड़ी हो जाती है, कि कल्पना से परे है. लेकिन रोजमर्रा के उदाहरण से समझते हैं…
- 350 AIIMS बन जाएंगे: 15 सितंबर 2024 को बिहार के दर्भंगा AIIMS के लिए यूनियन कैबिनेट ने 1,264 करोड़ रुपए अप्रूव किए.यानी एक AIIMS हॉस्पिटल बनाने की कॉस्ट 12 सौ करोड़ से ज्यादा है. इसमें 750 बेड्स, 100 MBBS सीट्स और 60 नर्सिंग सीट्स शामिल हैं. इस हिसाब से कैलकुलेशन करें तो 5 ट्रिलियन डॉलर में करीब 350 AIIMS बन सकते हैं. यानी भारत के हर कोने में सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल्स होंगे, जहां लाखों लोग फ्री ट्रीटमेंट पा सकेंगे.
- 700-800 IIM इंस्टीट्यूट्स बनेंगे: 2025 में एक IIM इंस्टीट्यूट सेटअप की कॉस्ट 500-600 करोड़ रुपए है (IIM कलकत्ता के पूरे बिल्डिंग कैंपस की कीमत 500 करोड़ और फीस स्ट्रक्चर से अनुमानित). यानी 5 ट्रिलियन डॉलर में 700-800 IIM इंस्टीट्यूट्स बन सकते हैं.
- 220 राफेल मिलेंगे: 2025 में एक राफेल जेट की कीमत करीब 2,307 करोड़ रुपए है. 28 अप्रैल को इंडिया-फ्रांस के 63 हजार करोड़ की डील से 26 राफेल M ऑर्डर किए. इस हिसाब से 5 ट्रिलियन डॉलर से 220 राफेल खरीदे जा सकते हैं, जो इंडियन एयर फोर्स को सुपर पॉवर बना देंगे.
- ISRO को 2 हजार साल की फंडिंग: इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (ISRO) का सालाना बजट 20 हजार करोड़ रुपए है. यानी 5 ट्रिलियन डॉलर से 2 हजार साल की फंडिंग मिल जाएगी. यानी चंद्रयान जैसे मिशंस सदियों तक चलते रहेंगे.
सवाल 5- क्या 5 ट्रिलियन डॉलर से पूरी दुनिया को पेट भर खाना खिलाया जा सकता है?
जवाब- UN वर्ल्ड पॉपुलेशन प्रॉस्पेक्ट्स के मुताबिक, दुनिया की आबादी 8.1 बिलियन है. वर्ल्ड बैंक के फूड प्राइसेस फॉर न्यूट्रिशन डेटा हब की रिपोर्ट के मुताबिक, प्रति व्यक्ति एक महीने के खाने की कीमत 3.66 डॉलर यानी 4,433 रुपए है. अब इसे 5 ट्रिलियन से कैलकुलेट करें तो पूरी दुनिया करीब 12.3 महीने पेट भर खाना खा सकती है.
सवाल 6- दुनियाभर की गरीबी मिटाने में क्या कमाल कर सकता है ये पैसा?
जवाब- वर्ल्ड बैंक की जून 2025 की रिपोर्ट के मुताबिक, 2025 में 808 मिलियन (80.8 करोड़) लोग एक्स्ट्रीम पॉवर्टी में हैं. 9.9% ग्लोबल पॉपुलेशन 3 डॉलर प्रति दिन (266 रुपए) से कम पर जीते हैं. वर्ल्ड बैंक के डीप रिसर्च प्रोग्राम के मुताबिक, प्रति व्यक्ति गरीबी मिटाने की सालाना कॉस्ट 100 डॉलर (8,867 रुपए) है. यानी 5 ट्रिलियन डॉलर से करीब 62 साल तक सभी की गरीबी खत्म हो जाएगी.



