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कागज में मरे हुए अपराधी को पुलिस ने किया गिरफ्तार, MCD ने शुरू की जांच


एक चौंकाने वाले मामले के खुलासे के बाद एमसीडी ने उसकी आंतरिक जांच शुरू कर दी है. दरअसल, पुलिस ने हाल ही में ऐसे अपराधी को गिरफ्तार किया है जिसे कागज़ों में मृत घोषित कर दिया गया था ताकि वह कोर्ट के वारंट से बच सके. अब सवाल उठ रहे हैं कि यह फर्जीवाड़ा कैसे संभव हुआ जबकि जारी किया गया मृत्यु प्रमाणपत्र पूरी तरह असली और मुहरयुक्त पाया गया है.

मिली जानकारी के अनुसार दिल्ली पुलिस ने बाहरी दिल्ली के मुंगेशपुर गांव के रहने वाले वीरेंद्र विमल को 11 अक्टूबर को गिरफ्तार किया. पुलिस के मुताबिक, विमल एक आदतन अपराधी है जिसके खिलाफ चोरी, हथियार रखने और घरों में सेंधमारी के कई मामले बावाना थाने में दर्ज हैं. वह अदालत के ग़ैर-जमानती वारंट से बचने के लिए खुद को कागज़ों पर मृत घोषित कर चुका था. पुलिस ने बताया कि उसे उत्तर प्रदेश के गोरखपुर से पकड़ा गया.

MCD ने बनाई जांच समिति, प्रमाणपत्र की सच्चाई से हैरान अधिकारी

मामले के सामने आने के बाद MCD ने एक आंतरिक जांच समिति गठित करने का निर्णय लिया है. यह समिति यह पता लगाएगी कि आखिर किस प्रक्रिया में खामी रही जिससे यह जाली प्रमाणपत्र असली दस्तावेज़ की तरह जारी हो गया.

एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि यह मामला नरेला ज़ोन से जुड़ा है और संबंधित डिप्टी हेल्थ ऑफिसर पुलिस की जांच में सहयोग कर रहे हैं. अधिकारी के अनुसार, ऐसे मामले बेहद दुर्लभ हैं, लेकिन इस घटना ने व्यवस्था की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े कर दिए हैं.

ग्रामीण इलाकों में शिथिल व्यवस्था बनी कमजोर कड़ी

अधिकारियों का कहना है कि दिल्ली के शहरी इलाकों में जहां अंतिम संस्कार स्थलों से डिजिटल या लिखित प्रमाणपत्र अनिवार्य हैं, वहीं बाहरी दिल्ली के ग्रामीण क्षेत्रों जैसे नरेला और नजफगढ़ में यह व्यवस्था कमजोर है. कई स्थलों पर न तो कोई पंजीकृत संस्था संचालित करती है और न ही वहां औपचारिक कागज़ी रसीदें जारी की जाती हैं. ऐसे में क्षेत्रीय प्रतिनिधि और दो गवाहों के हस्ताक्षर ही प्रमाण के रूप में मान लिए जाते हैं. इसी लूप होल का फायदा उठाकर आरोपी ने अपनी मृत्यु को वैध साबित कराया.

MCD की जन्म और मृत्यु पंजीकरण से जुड़ी वर्ष 2024 की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, साल 2024 में 1,39,480 मौतें दर्ज की गईं, जबकि 2023 में यह संख्या 1,32,391 थी. इनमें से लगभग 65% मौतें अस्पतालों में हुईं, जबकि 35% घरों पर या अस्पताल से बाहर. यही गैर-संस्थागत मौतें फर्जीवाड़े की संभावना बढ़ा देती हैं, क्योंकि इनमें दस्तावेज़ी प्रमाण कमजोर रहते हैं.

जांच में जुड़े अधिकारी और पूर्व पार्षद के नाम

दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने इस मामले में MCD अधिकारियों और बाहरी दिल्ली के एक पूर्व पार्षद को भी पत्र भेजा है. पुलिस यह जांच रही है कि प्रमाणपत्र जारी करने की प्रक्रिया में किस स्तर पर गड़बड़ी हुई. अधिकारियों का कहना है कि समिति अब यह भी देखेगी कि भविष्य में ऐसे मामलों से बचने के लिए सुरक्षा उपाय और सत्यापन प्रक्रिया कैसे सख्त की जा सकती है.

MCD अधिकारियों का कहना है कि इस तरह के मामले लाख में एक होते हैं, लेकिन इस घटना ने सिस्टम को मजबूत करने की जरूरत को रेखांकित किया है. एक अधिकारी ने कहा, हम जांच कर रहे हैं कि किन परिस्थितियों में दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर किए गए. जरूरत पड़ी तो हम केंद्र सरकार को इस संबंध में सिफारिश भी भेजेंगे. MCD का उद्देश्य अब यह सुनिश्चित करना है कि भविष्य में कोई भी अपराधी मृत घोषित होकर न्याय व्यवस्था को धोखा न दे सके.

AZMI DESK

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