अलीगढ़: AMU में छात्रों ने दीये जलाकर लिखा ‘जय श्री राम’, धूमधाम से मनाया गया दीपोत्सव

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) में इस बार दीपावली का त्योहार पहली बार खुले तौर पर और भव्य तरीके से मनाया गया. विश्वविद्यालय के NRSC क्लब परिसर में आयोजित इस आयोजन में छात्रों ने 2100 दीप जलाकर परिसर को रौशन किया. दीपों से ‘AMU’, ‘जय श्रीराम’ और ‘शुभ दीपावली’ शब्दों को खूबसूरती से सजाया गया. यह आयोजन न केवल दीपोत्सव की धूमधाम दिखाने वाला था, बल्कि एकता, सौहार्द और सांस्कृतिक समरसता का संदेश भी दे रहा था.
इस अवसर पर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए. प्रवेश के लिए छात्रों के आईडी कार्ड जांचे गए और परिसर में व्यवस्थित रूप से कार्यक्रम का संचालन किया गया. दीप प्रज्वलन की शुरुआत शाम ढलते ही हुई, जब छात्र और छात्राएं रंगोली, पुष्पों और दीपों से सजे रास्तों पर पहुंचे. कार्यक्रम के दौरान छात्राओं ने रंगोली और दीपों की सजावट की, जबकि छात्रों ने आतिशबाजी और सांस्कृतिक प्रस्तुतियों से माहौल को और उल्लासपूर्ण बनाया.
एएमयू में धूमधाम से मनाया गया दीपोत्सव
दीपोत्सव का सबसे आकर्षक दृश्य तब रहा जब 2100 दीप एक साथ जल उठे. आसमान में रंग-बिरंगी आतिशबाजी ने पूरे विश्वविद्यालय को जैसे किसी मेले में बदल दिया. ‘स्पेशल आर्मी भारत टैंक’ की आतिशबाजी ने सभी का ध्यान खींचा. इस दौरान 21 किलो मिठाइयों का वितरण किया गया और छात्र-छात्राओं ने एक-दूसरे को मिठाई खिलाकर दीपावली की शुभकामनाएं दी.
विश्वविद्यालय में हर साल मनाई जाती है दीपावली- वसीम अहमद
एएमयू प्रॉक्टर वसीम अहमद ने बताया कि दीपावली का त्योहार विश्वविद्यालय में हर साल मनाया जाता है. इस बार छात्रों ने परमिशन मांगी और उन्हें अनुमति दी गई. पहले छात्र अपने हॉस्टलों में ही दीपावली मनाते थे. प्रॉक्टर ने कहा कि हम छात्रों को शुभकामनाएं देते हैं और इस उत्सव में शामिल होकर खुशी महसूस करते हैं.
वर्षों बाद विश्वविद्यालय में खुले तौर पर मनाई गई दीपावली
दीपोत्सव में शामिल हिंदू छात्र अखिल कौशल ने इसे अपने लिए गौरवपूर्ण क्षण बताया. उन्होंने कहा कि इतने वर्षों बाद विश्वविद्यालय में खुले तौर पर दीपावली मनाना एक नई शुरुआत है. छात्रा ने कहा कि एएमयू ने यह दिखा दिया कि यह सिर्फ शिक्षा संस्थान नहीं, बल्कि एक परिवार है जहां हर त्योहार मिल-जुलकर मनाया जाता है.
कार्यक्रम में पारंपरिक परिधान पहने छात्रों ने ‘दीप जलाओ अंधेरा मिटाओ’ और ‘एक दीप सौहार्द के नाम’ जैसे नारों के साथ गीत, कविता और भजन प्रस्तुत किए. ‘जय श्रीराम’ के स्वर गूंजने पर पूरा परिसर श्रद्धा और उल्लास से भर उठा. इस आयोजन ने यह संदेश दिया कि शिक्षा और संस्कृति साथ-साथ चल सकते हैं और विविधता में एकता संभव है.