राज्य

अब नहीं जाना पड़ेगा लखनऊ या दिल्ली, प्रयागराज में ही होगा दिल की इस बीमारी का इलाज


प्रयागराज के जन्मजात से दिल में छेद की बीमारी के मरीजों के लिए अच्छी खबर है. उन्हें मंहगे इलाज के लिए अब प्रयागराज से बाहर दूसरे शहरों में नहीं जाना पड़ेगा. मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के एसआरएन अस्पताल के कार्डियोलॉजी विभाग के डॉक्टरों ने पहली बार बिना ओपन हार्ट सर्जरी के दिल का छेद बंद करने में सफलता पाई है. 

स्वरूप रानी नेहरू चिकित्सालय के कार्डियक कैथ लैब में डॉक्टरों की टीम ने दूरबीन विधि से दिल के छेद यानी वीएसडी का सफल ऑपरेशन किया है. हार्ट सर्जरी करने वाली टीम में शामिल डॉक्टर वैभव श्रीवास्तव के मुताबिक प्रयागराज के यमुनापार के जसरा का रहने वाला एक युवक सांस की बीमारी बताकर ओपीडी में आया था. ‌

उन्होंने जब स्टैथो स्कोप से मरीज की जांच की तो मरीज के दिल में छेद यानी वीएसडी की संभावना नजर आई. बाद में अन्य जांचों में 21 वर्षीय युवक के दिल में 6 मिमी का छेद यानी वीएसडी की पुष्टि हुई.

इसके बाद डॉक्टरों ने इलाज शुरू किया. ‌हालांकि मरीज काफी गरीब था इसलिए सीएम रिलीफ फंड से एक लाख रुपए मंगागे गए. इसके बाद डॉक्टरों की टीम ने बिना ओपन हार्ट सर्जरी के सफलतापूर्वक दूरबीन विधि से हार्ट के छेद को बंद किया है.

सर्जरी की टीम में शामिल डॉक्टर ने क्या बताया?

प्रयागराज मंडल में इस प्रकार का यह पहला मामला है. जिसने चिकित्सा जगत में नई उम्मीदें जगा दी हैं. पहले मरीज को पहले ओपन हार्ट सर्जरी की सलाह दी गई थी. जिससे मरीज और उसका परिवार काफी परेशान था. लेकिन स्वरूप रानी चिकित्सालय के युवा कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. विमल निषाद और डॉ. वैभव श्रीवास्तव ने इसे चुनौती के रूप में लिया.

उन्होंने हिम्मत और कौशल का परिचय देते हुए आधुनिक तकनीक से कैथ लैब में ही यह जटिल प्रक्रिया लगभग ढाई घंटे तक चली सर्जरी में पूरी कर दी. इस प्रक्रिया में मरीज का सीना नहीं खोला गया. बल्कि एक पतली नली (कैथेटर) के माध्यम से हृदय तक पहुंचकर विशेष उपकरण से छेद को बंद किया गया. टीम में टेक्नीशियन ओमवीर और योगेश ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

क्या बोले विभागाध्यक्ष?

विभागाध्यक्ष डॉ. पीयूष सक्सेना के मुताबिक “यह प्रयागराज के लिए एक बड़ी उपलब्धि है. अब ऐसे मरीजों को बड़े ऑपरेशन और लंबे रिकवरी पीरियड से नहीं गुजरना पड़ेगा. यह तकनीक सुरक्षित, सरल और कम खर्चीली है. उन्होंने कहा है कि स्वरूप रानी अस्पताल अब उन चुनिंदा केंद्रों में शामिल हो गया है.

जहां बिना ओपन सर्जरी के हृदय के जन्मजात छेद का इलाज संभव है. पहले ओपन हार्ट सर्जरी में तीन से चार लाख रुपए का खर्च आता था और मरीज के स्वस्थ होने में महीनों लग जाते थे. वहीं अब दूरबीन विधि से इसका इलाज 80 हजार से 1 लाख में संभव है. 

डॉ वैभव श्रीवास्तव के मुताबिक पहले इस इलाज के लिए लोग कानपुर मेडिकल कॉलेज और लखनऊ के केजीएमयू जाते थे. या फिर ऐसे मरीजों को दिल्ली एम्स का रुख करना पड़ता था. ‌लेकिन उन्हें अब यह इलाज उनके अपने शहर संगम नगरी प्रयागराज में मिलेगा.

AZMI DESK

Related Articles

Back to top button
WhatsApp Join Group!