‘जानबूझकर नहीं…’, अफगान विदेश मंत्री ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में महिला पत्रकारों की ‘नो एंट्री’ पर तोड़ी चुप्पी

अफगानिस्तान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी ने हाल ही में भारत में हुई अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में महिला पत्रकारों की अनुपस्थिति का बचाव करते हुए बयान दिया है. मुत्ताकी ने कहा कि यह कोई जानबूझकर किया गया बहिष्कार नहीं था, बल्कि यह सिर्फ लॉजिस्टिक कारणों के चलते हुआ.
उन्होंने कहा, ‘जहां तक प्रेस कॉन्फ्रेंस की बात है, यह एक शॉर्ट नोटिस पर किया गया था, जिसमें पत्रकारों की एक छोटी लिस्ट बनाई गई थी. तो यह सिर्फ एक तकनीकी मामला था. हमारे सहयोगियों ने कुछ खास पत्रकारों को ही निमंत्रण भेजने का फैसला किया था और इसके अलावा इसके पीछे हमारी कोई अन्य मंशा नहीं थी.’
भारत में मामले ने लिया विवाद का रूप, तो मुत्ताकी ने दी सफाई
अफगानी विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी का यह बयान तब आया जब इस घटना को लेकर भारत में कड़ी आलोचना होने लगी. भारत में विपक्ष ने इस घटना को महिलाओं का अपमान करार दिया. कांग्रेस सांसद राहुल गांधी इसे लेकर सरकार पर भी आरोप लगाया.
#WATCH | Delhi | On the issue of women journalists not being invited to his presser two days ago, Afghanistan Foreign Minister Amir Khan Muttaqi says, “With regards to the press conference, it was on short notice and a short list of journalists was decided, and the participation… pic.twitter.com/zM8999yc0l
— ANI (@ANI) October 12, 2025
उन्होंने कहा, ‘सरकार ने महिलाओं के अधिकारों की रक्षा के लिए खड़े होने में कमजोरी दिखाई और एक सार्वजनिक मंच से महिला पत्रकारों को बाहर रखने की अनुमति दी.’
अफगानिस्तान में लड़कियों की शिक्षा पर क्या बोले मुत्ताकी?
वहीं, इस दौरान अफगानिस्तान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी ने एक और विवादास्पद मुद्दे पर अपनी टिप्पणी दी. उन्होंने इस दावे को सिरे से खारिज कर दिया कि तालिबान सरकार ने लड़कियों की शिक्षा पर प्रतिबंध लगा दिया है.
#WATCH | Delhi | On the ban on education for women in his country, Afghanistan Foreign Minister Amir Khan Muttaqi says, “There is no doubt that Aghanistan has relations with Ulema Madaris and with Deoband perhaps greater than others. With regards to education, at present we have… pic.twitter.com/XYKsAViqL5
— ANI (@ANI) October 12, 2025
उन्होंने कहा, ‘इसमें कोई शक नहीं है कि अफगानिस्तान के उलेमा मदरिसों और देवबंद से गहरे संबंध हैं. लेकिन अगर शिक्षा की बात करें तो वर्तमान में हमारे यहां एक करोड़ छात्र स्कूलों और अन्य शैक्षणिक संस्थानों में पढ़ाई कर रहे हैं, जिनमें करीब 28 लाख महिलाएं और लड़कियां शामिल हैं. धार्मिक मदरसों में यह शैक्षणिक सुविधा ग्रेजुएशन स्तर तक उपलब्ध है. हालांकि, कुछ सीमाएं हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हम शिक्षा का विरोध करते हैं. हमने इसे धार्मिक रूप से हराम घोषित नहीं किया है. बल्कि इसे सिर्फ दूसरे आदेश तक स्थगित किया गया है.‘
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