बिहार चुनाव 2025: उपेंद्र कुशवाहा दिल्ली रवाना, बोले- BJP ने बुलाया है, सीट शेयरिंग पर होगी बात

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर NDA में सीट शेयरिंग को लेकर हलचल तेज हो गई है. एक ओर जहां गठबंधन के सभी घटक दल अपनी-अपनी कोर कमेटी की बैठकें कर रहे हैं, वहीं राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (RLSP) सुप्रीमो उपेंद्र कुशवाहा ने साफ कर दिया है कि उनकी पार्टी अभी सीटों के बंटवारे पर सहमत नहीं हुई है. शनिवार (11 अक्टूबर) को पटना एयरपोर्ट पर मीडिया से बातचीत के दौरान उन्होंने यह भी बताया कि उन्हें बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व की ओर से दिल्ली बुलाया गया है.
उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि सीटों पर बातचीत अभी अधूरी है. कई मीडिया रिपोर्ट्स में यह खबर चल रही है कि हमारी पार्टी 6 सीटों पर लड़ने के लिए मान गई है, लेकिन यह पूरी तरह गलत है. हमारी ओर से किसी भी तरह की सहमति नहीं बनी है. बातचीत का दौर अभी जारी है और अगला चरण दिल्ली में होगा.
सीटों को लेकर दिल्ली में अंतिम निर्णय पर होगी चर्चा- उपेंद्र कुशवाहा
उपेंद्र कुशवाहा ने बताया कि बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व ने उन्हें दिल्ली बुलाया है, जहां सीटों को लेकर अंतिम निर्णय पर चर्चा होगी. कुशवाहा ने कहा कि हम बीजेपी के आमंत्रण पर दिल्ली जा रहे हैं. वहां जो भी फैसला होगा, उसे हम मीडिया के माध्यम से साझा करेंगे. लेकिन फिलहाल इतना स्पष्ट है कि हमारी ओर से 6 सीटों पर कोई सहमति नहीं बनी है.
RLSP को दी जा सकती है 6 सीटें
राजनीतिक हलकों में यह चर्चा थी कि एनडीए के भीतर सीटों के बंटवारे पर राष्ट्रीय लोक समता पार्टी को 6 सीटें दी जा सकती हैं. लेकिन कुशवाहा के बयान से इन अटकलों पर फिलहाल विराम लग गया है. उन्होंने साफ संकेत दिया है कि वे पार्टी के जनाधार और संगठनात्मक मजबूती के हिसाब से ज्यादा सीटों की मांग पर अडिग हैं.
NDA नेताओं के साथ केंद्रीय नेता भी रहेंगे मौजूद
जानकारों का मानना है कि उपेंद्र कुशवाहा की नाराजगी NDA के भीतर सीट शेयरिंग को और जटिल बना सकती है. हालांकि, बीजेपी नेतृत्व अब स्थिति को सुलझाने में सक्रिय हो गया है. माना जा रहा है कि दिल्ली में होने वाली इस बैठक में बिहार के प्रमुख NDA नेताओं के साथ-साथ केंद्रीय नेतृत्व भी मौजूद रहेगा.
कुशवाहा के दिल्ली रवाना होने के साथ ही बिहार की सियासत में नई चर्चाओं को हवा मिल गई है. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अगर सीट बंटवारे पर सहमति नहीं बनती है, तो NDA के भीतर असंतोष खुलकर सामने आ सकता है, जिसका असर चुनावी समीकरणों पर भी पड़ सकता है.