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Explained: TCS की नौकरी ‘सरकारी’ नहीं रही! 20 हजार कर्मचारियों की छंटनी का सच क्या, कैसे AI छीन रहा नौकरियां?

भारत में IT सेक्टर में छंटनी होना बड़ी बात नहीं होती. कुछ-एक कर्मचारियों को किन्हीं वजहों से निकाल दिया जाता है. लेकिन अब भारत की सबसे बड़ी IT कंपनी ने 20 हजार कर्मचारियों को निकाल दिया है. यानी अब उस कंपनी में भी छंटनी शुरू हो गई है, जिसकी नौकरी को सरकारी नौकरी माना जाता था और जॉब सिक्योरिटी का भरोसा होता था. कंपनी इसकी वजह स्किल मिसमैच बता रही है.

तो आइए एक्सप्लेनर में समझते हैं कि TCS में कर्मचारियों की छंटनी की असल वजह क्या, जब छंटनी आम है तो अब बड़ी बात क्यों और कैसे AI नौकरीपोश के लिए खतरा बन रहा…

सवाल 1- TCS में कर्मचारियों की छंटनी का पूरा मामला क्या है?
जवाब- टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज यानी TCS ने एक तिमाही में करीब 20 हजार कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया. कंपनी के आंकड़ों के मुताबिक, फाइनेंशियल ईयर 2025-26 की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) में TCS के कर्मचारियों की संख्या 6 लाख 13 हजार 69 से घटकर 5 लाख 93 हजार 314 रह गई. यानी 19,755 कर्मचारी कम हो गए.

हालांकि, कंपनी ने इसे ‘वर्कफोर्स री-स्ट्रक्चरिंग’ यानी कार्यबल पुनर्गठन का हिस्सा बताया. TCS का कहना है कि बदलते व्यावसायिक माहौल के मुताबिक कर्मचारियों की संख्या और संरचना में बदलाव किया जा रहा है. वहीं, IT कर्मचारियों का संगठन नैसेंट इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एम्प्लॉइज सीनेट यानी NITES ने कंपनी पर कर्मचारियों की छटती के असल आंकड़ों को कम करके दिखाने का आरोप लगाया.

TCS के HR ऑफिसर सुदीप कुन्नुमल ने कहा कि कंपनी ने सिर्फ 1% (करीब 6 हजार कर्मचारियों) को निकाला है. लेकिन NITES ने इस दावे को गलत बताया और कहा कि करीब 20 हजार कर्मचारियों की कमी हुई है.

सवाल 2- कर्मचारियों की छटनी सभी कंपनियों में होती है, फिर TCS में बड़ी बात क्यों?
जवाब- यूरोपीय यूनियन (EU) थिंकटैंक के रिसर्च फेलो और इकोनॉमिक एक्सपर्ट डॉ. ज़ाकिर हुसैन इसकी 3 बड़ी वजहें बताते हैं…

  • भारत की सबसे बड़ी IT कंपनी: TCS भारत की सबसे बड़ी IT कंपनी है और देश में सबसे ज्यादा कर्मचारियों को रोजगार देने वाली प्राइवेट कंपनियों में से एक है. इसमें करीब 6 लाख कर्मचारी हैं और यह भारत के IT सेक्टर का चेहरा मानी जाती है. इतने बड़े पैमाने की कंपनी में छटनी का असर न सिर्फ कर्मचारियों, बल्कि पूरे IT सेक्टर और इकोनॉमी पर पड़ता है.
  • IT सेक्टर में लीडरशिप: TCS भारत के IT एक्सपोर्ट का एक बड़ा हिस्सा संभालती है. 2024-25 की फाइनेंशियल रिपोर्ट के मुताबिक, TCS की इनकम करीब 2.41 लाख करोड़ रुपए थी. जब ऐसी कंपनी छटनी करती है, तो यह पूरे सेक्टर के लिए ट्रेंडसेटर बन जाता है.
  • जॉब सिक्योरिटी की गारंटी: TCS को भारत में सरकारी नौकरी जैसी स्थिरता वाली कंपनी माना जाता है, जहां जॉब सिक्योरिटी को लेकर कर्मचारियों में भरोसा रहा है. यहां कर्मचारियों को सरकारी नौकरीपोश लोगों से ज्यादा पर्क और एडवांटेज मिलते हैं. TCS में काम करना हर IT प्रोफशनल का ख्वाब होता है. लेकिन जब TCS ही नौकरी से निकालने लगेगी तो फिर ऐसा सभी कंपनियों में होने लगेगा.

इंफोसिस और विप्रो जैसी अन्य IT कंपनियां भी छटनी करती हैं. लेकिन TCS का आकार और उसका ब्रांड वैल्यू इसे ज्यादा चर्चा में लाता है.

उदाहरण से समझें- इंफोसिस में 3.17 लाख कर्मचारी हैं. अगर कंपनी 5 हजार कर्मचारियों की छंटनी करती है, तो यह उसके कुल वर्कफोर्स का 1.5% हो सकता है, लेकिन TCS में 20 हजार कर्मचारियों की छंटनी 3.33% का प्रभाव ज्यादा बड़ा माना जाता है.

सवाल 3- TCS में इतने बड़े पैमाने पर कर्मचारियों को क्यों निकाल दिया?
जवाब- इकोनॉमिक एक्सपर्ट्स और रिपोर्ट्स TCS में कर्मचारियों की छंटनी की 3 बड़ी वजहें बताते हैं…

1. स्किल मिसमैच और रिडिप्लॉयमेंट की चुनौतियां
TCS ने साफ कहा कि छंटनी AI-बेस्ड प्रोडक्टिविटी गेन की वजह से नहीं हो रही, बल्कि स्किल गैप की वजह से हुई. कंपनी ने 5.5 लाख कर्मचारियों को बेसिक AI स्किल्स और 1 लाख को एडवांस्ड ट्रेनिंग दी. लेकिन सीनियर कर्मचारी (मिड-सीनियर लेवल) को नए टेक-हैवी रोल्स में रीडिप्लॉयमेंट में दिक्कत हो रही है. TCS के CEO के. कृतिनिवासन ने कहा, ‘यह छंटनी स्किल मिसमैच या रिडिप्लॉयमेंट न होने की वजह से है. क्वार्टर 2 में 1% कर्मचारियों पर 1,135 करोड़ का रिस्ट्रक्चरिंग कॉस्ट आया, जो आगे बढ़ सकता है.’

2. AI और ऑटोमेशन का गलत असर
CEO ने AI को छंटनी की सीधी वजह नहीं बताया. लेकिन एक्सपर्ट्स इसे AI-फ्यूल्ड ट्रेंड मानते हैं. इकोनॉमिक एक्सपर्ट और JNU के रिटायर्ड प्रोफेसर अरुण कुमार के मुताबिक, AI ने रूटीन टास्क्स, मैनुअल टेस्टिंग और कस्टमर सपोर्ट को ऑटोमेट कर दिया, जिससे मिड-लेवल रोल्स की डिमांड घट गई.

3. यूटिलिटी रेट में सुधार और कॉस्ट कटिंग
कंपनी यूटिलिटी रेट बढ़ाने के लिए रिस्ट्रक्चरिंग कर रही है. पैरासिटिक एम्प्लॉई यानी 10 से 25 साल के एक्सपीरियंस, हाई सैलरी और लो प्रोडक्टिविटी करने वाले कर्मचारियों को टारगेट किया जा रहा है. कंपनी में AI लिंक्ड रेवेन्यू स्ट्रीम्स कैप्चर करने के लिए मार्केट शेयर गेन या लेऑफ्स जरूरी है.

हालांकि, डॉ. ज़ाकिर हुसैन का मानना है कि TCS में कर्मचारियों की छंटनी की एक वजह ट्रंप का H1B1 वीजा पर सख्ती करना भी है. भारत से लोग एजुकेशन लेकर अमेरिका में जाकर नौकरी करते थे. इससे अमेरिकी वर्कफोस कम होता था. ट्रंप इस बात को बखूबी समझ गए और कंपनियों पर अमेरिकी लोगों को नौकरी देने का दबाव बनाया. इसके अलावा AI भी लेऑफ की बड़ी वजह है.

सवाल 4- कैसे AI का बढ़ता प्रभाव नौकरीपोश के लिए खतरा बन रहा?
जवाब- AI और ऑटोमेशन उन कामों को तेजी से ऑटोमेट यानी स्वचालित कर रहे हैं, जो दोहराव वाले और नियम-आधारित हैं. इसमें डेटा एंट्री, मैनुअल टेस्टिंग, बेसिक कोडिंग, कस्टमर सपोर्ट और कुछ प्रशासनिक काम शामिल हैं. ये नौकरियां मुख्य रूप से मिड-लेवल और जूनियर कर्मचारियों को दी जाती हैं, जो भारत के IT सेक्टर में बड़ी संख्या में हैं.

गार्टनर की 2024 की रिपोर्ट के मुताबिक, 2025 के आखिर तक ग्लोबल IT सेक्टर में 30% नौकरियां AI और ऑटोमेशन से प्रभावित होंगी. Unearthinsight की एक स्टडी का अनुमान है कि भारत में अगले 2-3 सालों में 4 से 5 लाख IT नौकरियां खत्म हो सकती हैं.

डॉ. अरुण कुमार के मुताबिक, जिन कर्मचारियों के पास AI, मशीन लर्निंग या डेटा एनालिटिक्स जैसे स्किल्स नहीं हैं, उनकी नौकरियां खतरे में हैं. TCS में करीब 70% प्रभावित कर्मचारी 4 से 12 साल के एक्सपीरियंस वाले हैं, जिनके स्किल्स अब क्लाइंट डिमांड से मेल नहीं खाते.

वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम यानी WEF की 2023 की रिपोर्ट के मुताबिक, 2027 तक 50% कर्मचारियों को री-स्किलिंग की जरूरत होगी. भारत में सिर्फ 20% IT कर्मचारी AI-बेस्ड स्किल्स में ट्रेन्ड हैं.

सवाल 5- तो क्या आने वाले समय में AI सभी नौकरियां खत्म कर देगा?
जवाब- डॉ. ज़ाकिर हुसैन कहते हैं, ‘AI सभी नौकरियों को खत्म करने के बजाय उन्हें बदल रहा है. उन नौकरिपोश लोगों पर सबसे ज्यादा खतरा है, जो 4 से 12 साल के एक्सपीरियंस वाले हैं. AI के काम करने के तरीके पर कई रिपोर्ट्स बन चुकी हैं. जिसमें साबित हो चुका है कि आने वाले समय में AI ज्यादातर नौकरियों को खत्म कर देगा.’

AZMI DESK

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