गोपालगंज जिले की राजनीति इस बार बेहद दिलचस्प हो गई है. एबीपी बिहार एक्सपर्ट एग्जिट पोल 2025 के अनुसार, जिले की 6 विधानसभा सीटों में से एनडीए को 2, महागठबंधन को 1 सीट मिलती दिख रही है, जबकि 3 सीटों पर कांटे की टक्कर है. राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि इस बार जातिगत समीकरणों से ज्यादा असर स्थानीय नाराजगी, विकास और महिलाओं के वोट ने दिखाया है. गोपालगंज में कांग्रेस का पलड़ा भारी गोपालगंज सीट पर इस बार मुकाबला बेहद रोचक है. राजनीतिक एक्सपर्ट संजय कुमार अभय का कहना है कि यहां कांग्रेस का पलड़ा भारी दिख रहा है. उन्होंने कहा कि 20 साल से बीजेपी का कब्जा रहा, लेकिन विकास नहीं हुआ. कांग्रेस प्रत्याशी ब्राह्मण हैं, इसलिए ब्राह्मण वोटर जो पहले बीजेपी के साथ थे, अब कांग्रेस के पक्ष में गए हैं. गोपालगंज की 6 सीटों का पार्टीवार बंटवारा- - जदयू: 2 सीटें - राजद: 1 सीट बैकुंठपुर, गोपालगंज और कुचाईकोट विधानसभा सीटों कड़ी टक्कर साथ ही बीजेपी के बागी उम्मीदवार अनूप श्रीवास्तव ने भी वोट काटा है. दूसरी ओर, वरिष्ठ पत्रकार मनीष भारती का मानना है कि महिलाओं को मिले सरकारी लाभ और विकास के नाम पर बीजेपी 5 हजार वोट से जीत सकती है. वरिष्ठ पत्रकार बाल्मीकि मणि तिवारी ने कहा कि यहां 51-49 का मुकाबला है. भाजपा में नाराजगी थी, लेकिन आखिर में सभी एकजुट हो गए. जातीय समीकरण इस बार काम नहीं आया. वहीं पॉलिटिकल एक्सपर्ट गोपाल मिश्रा ने कांग्रेस को बढ़त दी और कहा कि बसपा प्रत्याशी इंदिरा यादव का वोट कम होने से यादव और ब्राह्मण दोनों वोट कांग्रेस की ओर चले गए. बरौली में राजद को जातीय समीकरण का फायदा बरौली सीट पर राजद और जेडीयू के बीच सीधा मुकाबला है. पॉलिटिकल एक्सपर्ट संजय कुमार अभय के मुताबिक, यहां राजपूत वोट बीजेपी को नहीं मिला, जिससे राजद को फायदा है. मुस्लिम और ब्राह्मण दोनों वर्ग राजद को वोट कर रहे हैं. पत्रकार मनीष भारती का कहना है कि राजद यहां 10 हजार वोटों से आगे रह सकती है, जबकि बाल्मीकि मणि तिवारी ने मुकाबले को कांटे का बताया. राजनीतिक एक्सपर्ट गोपाल मिश्रा ने कहा कि राजद को जातिगत समीकरण और उम्मीदवार की साफ-सुथरी छवि का फायदा मिल रहा है. बैकुंठपुर में राजद-बीजेपी के बीच बराबरी की टक्कर बैकुंठपुर में हालात उलझे हुए हैं. राजनीतिक एक्सपर्ट संजय अभय का कहना है कि बीजेपी जीत सकती है, क्योंकि राजद के वोट बसपा प्रत्याशी प्रदीप राय काट रहे हैं. वहीं, राजनीतिक एक्सपर्ट मनीष भारती का मानना है कि राजद जीत सकती है, लेकिन अंतर बहुत कम रहेगा. राजनीतिक एक्सपर्ट बाल्मीकि मणि तिवारी का कहना है कि बीजेपी के प्रत्याशी ने पहले भी क्षेत्र में काम किया है और जीविका दीदियों को मिले 10 हजार रुपये का असर यहां दिखेगा. पॉलिटिकल एक्सपर्ट गोपाल मिश्रा ने कहा कि दोनों दलों के बीच 50-50 का चांस है और वास्तविक वोटर चुप है, जिससे नतीजा अनुमान लगाना कठिन है. हथुआ में विकास के नाम पर जेडीयू को बढ़त हथुआ सीट पर मुकाबला जेडीयू और राजद में है. राजनीतिक एक्सपर्ट संजय अभय के मुताबिक, इस बार नीतीश सरकार के कामों का असर दिखेगा और जेडीयू जीतेगी. हालांकि, पॉलिटिकल एक्सपर्ट मनीष भारती ने कहा कि ब्राह्मण नाराजगी के कारण राजद का पलड़ा भारी है. वहीं पॉलिटिकल एक्सपर्ट बाल्मीकि मणि तिवारी और गोपाल मिश्रा दोनों ने माना कि क्षेत्र में विकास कार्य, गैस प्लांट और औद्योगिक परियोजनाओं के चलते जेडीयू को बढ़त है, लेकिन अंतर कम रहेगा. भोरे में मंत्री सुनील कुमार के विकास मॉडल पर भरोसा भोरे सीट पर मौजूदा जेडीयू मंत्री सुनील कुमार एक बार फिर मजबूत दावेदार माने जा रहे हैं. पॉलिटिकल एक्सपर्ट संजय अभय का कहना है कि इस क्षेत्र में उद्योगों की स्थापना और महिलाओं के लिए योजनाओं का असर दिखेगा. जनसुराज की प्रीति किन्नर शुरुआत में प्रभावी थीं, लेकिन अंत में वोट खिसक गए. पॉलिटिकल एक्सपर्ट मनीष भारती और पॉलिटिकल एक्सपर्ट बाल्मीकि तिवारी दोनों का मानना है कि जेडीयू 5 हजार वोटों से जीत सकती है, हालांकि माले प्रत्याशी के कारण कुछ वोट बिखराव हुआ है. यहां क्लिक कर पढ़ें बिहार के सभी 38 जिलों की 243 सीटों का एक्सपर्ट एग्जिट पोल कुछ राजनीतिक विशेषज्ञों ने चेताया कि अगर ब्राह्मण वोटर माले के साथ गए, तो नतीजे पलट भी सकते हैं, क्योंकि पिछली बार सुनील कुमार सिर्फ 900 वोट से जीते थे. कुचायकोट सीट पर सियासी जंग बेहद रोचक है. पॉलिटिकल एक्सपर्ट संजय अभय का कहना है कि इस बार कांग्रेस जीतेगी, क्योंकि यादव, कुशवाहा, भूमिहार और मुस्लिम वोट एकजुट होकर कांग्रेस के साथ हैं. वहीं, पॉलिटिकल एक्सपर्ट मनीष भारती का दावा है कि जेडीयू प्रत्याशी ने अपने निजी खर्च से दो हजार मस्जिद-मदरसा में एसी लगवाए, जिससे उन्हें हर वर्ग का समर्थन मिल रहा है. पॉलिटिकल एक्सपर्ट बाल्मीकि तिवारी ने भी जेडीयू को मामूली बढ़त दी, जबकि पॉलिटिकल एक्सपर्ट गोपाल मिश्रा का कहना है कि ब्राह्मण और राजपूत वोटों के बिखराव से कांग्रेस को सीधा फायदा हुआ है.