दरभंगा जिले की 10 विधानसभा सीटों पर इस बार भी मुकाबला दिलचस्प और टक्कर भरा है. एबीपी बिहार एक्सपर्ट एग्जिट पोल 2025 के मुताबिक, एनडीए को 6 और महागठबंधन को 4 सीटें मिलने का अनुमान है. यानी नीतीश-मोदी फैक्टर अब भी दरभंगा में असर दिखा रहा है, जबकि महागठबंधन ने कुछ सीटों पर कड़ा मुकाबला पेश किया है. एनडीए में जदयू को 4 और बीजेपी को 2 सीटें, वहीं महागठबंधन में राजद को 3, सीपीआई (एम) को 1 सीट मिलती दिख रही है. कुशेश्वरस्थान में वोट बहिष्कार के बाद भी एनडीए आगे वरिष्ठ स्थानीय पत्रकार संतोष पोद्दार के मुताबिक कुशेश्वरस्थान सीट पर इस बार मुकाबला बेहद नजदीकी रहा. जदयू प्रत्याशी अतिरेक कुमार को कुछ पंचायतों में वोट बहिष्कार का नुकसान जरूर हुआ, लेकिन मोदी-नीतीश फैक्टर के चलते जीत एनडीए की झोली में जाती दिख रही है. निर्दलीय गणेश भारती को बिरौल इलाके से कुछ वोट मिले, लेकिन वह निर्णायक नहीं रहेंगे. पार्टीवार सीटों का बंटवारा जदयू – 4 सीटें बीजेपी – 2 सीटें राजद – 3 सीटें सीपीआई (एम) – 1 सीट अलीनगर में ब्राह्मण वोटों की एकजुटता से बिनोद मिश्रा को बढ़त पॉलिटिकल एक्सपर्ट मुरारी झा के मुताबिक अलीनगर सीट पर राजद के बिनोद मिश्रा और बीजेपी की लोकगायिका मैथिली ठाकुर के बीच जोरदार टक्कर है. लेकिन भीतरघात और स्थानीय बनाम बाहरी उम्मीदवार का मुद्दा यहाँ निर्णायक बन गया. स्थानीय होने का फायदा बिनोद मिश्रा को मिला है, जिससे महागठबंधन की जीत की संभावना मजबूत है. दरभंगा ग्रामीण में महिलाओं ने बदला समीकरण राजनीतिक एक्सपर्ट अमित कुमार के मुताबिक, दरभंगा ग्रामीण में लंबे समय से राजद का कब्जा रहा, लेकिन इस बार जदयू प्रत्याशी राजेश कुमार मंडल (ईश्वर मंडल) को जबरदस्त समर्थन मिला. नीतीश सरकार की योजनाओं खासकर 10 हजार रुपये की सहायता योजना का असर महिलाओं और नए वोटरों पर दिखा. मुकाबला भले कांटे का है, लेकिन बढ़त एनडीए की बताई जा रही है. बेनीपुर में एनडीए को बढ़त वरिष्ठ पत्रकार दीपक झा बताते हैं कि बेनीपुर सीट पर महिलाओं की बड़ी भूमिका रही. जदयू के विनय चौधरी उर्फ अजय चौधरी को नीतीश की छवि का फायदा मिला है. कांग्रेस के मिथिलेश चौधरी ब्राह्मण वोटों में सेंध लगाने की कोशिश में जरूर हैं, मगर कुल मिलाकर एनडीए की स्थिति मजबूत दिखती है. दरभंगा शहरी में संजय सरावगी की हैट्रिक तय एक्सपर्ट कुमार रौशन के अनुसार, लगातार 5 बार जीत चुके बीजेपी विधायक संजय सरावगी एक बार फिर बाजी मारते दिख रहे हैं. हालांकि वीआईपी उम्मीदवार उमेश सहनी और जनसुराज के राकेश मिश्रा कुछ वोट काट सकते हैं, लेकिन असर सीमित रहेगा. पॉलिटिकल एक्सपर्ट रमेश कुमार के मुताबिक हायाघाट सीट पर इस बार त्रिकोणीय मुकाबला है. बीजेपी विधायक रामचंद्र साह के खिलाफ क्षेत्र में नाराजगी है, और आम आदमी पार्टी के रविन्द्र सिंह (चिंटू सिंह) भी कड़ी चुनौती दे रहे हैं. यहाँ सीपीआई (एम) के श्याम भारती को फायदा मिल सकता है. इसलिए महागठबंधन की जीत की संभावना जताई जा रही है.वहीं वरिष्ठ पत्रकार टिंकू कुमार बताते हैं कि बहादुरपुर में मंत्री मदन सहनी (जदयू) और भोला यादव (राजद) में कांटे की टक्कर रही. हालांकि मदन सहनी की विकास छवि और स्थानीय पकड़ से एनडीए का पलड़ा भारी बताया जा रहा है. गौड़ाबौराम सीट पर इस बार राजद के अफजल अली खान को बढ़त मिल रही है. पत्रकार शंकर सहनी के अनुसार, वीआईपी ने अपना उम्मीदवार वापस ले लिया, जिससे मल्लाह वोट महागठबंधन में चला गया. बीजेपी प्रत्याशी सुजीत कुमार को एंटी-इनकंबेंसी का सामना करना पड़ा. केवटी में फराज फातमी के पक्ष में समीकरण पॉलिटिकल एक्सपर्ट राजन कुमार के मुताबिक, यादव-मुस्लिम बहुल केवटी सीट पर इस बार राजद प्रत्याशी फराज फातमी मजबूत स्थिति में हैं. उनके पिता अली अशरफ फातमी की पकड़ और यादव वोटरों का एकजुट होना महागठबंधन को बढ़त दिला रहा है. जीवेश मिश्रा की हैट्रिक की राह आसान वरिष्ठ पत्रकार अरुण पाठक का कहना है कि जाले सीट पर बीजेपी मंत्री जीवेश मिश्रा लगातार तीसरी बार जीत की ओर बढ़ रहे हैं. कांग्रेस के ऋषि मिश्रा ब्राह्मण वोटों में कुछ असर डाल सकते हैं, पर निर्दलीय मसुकुर उस्मानी की बगावत से महागठबंधन का वोट बैंक कमजोर हुआ है. दरभंगा की 10 सीटों पर माहौल साफ है. एनडीए 6, महागठबंधन 4 सीटें अपने नाम करने की स्थिति में है. जहां एनडीए को नीतीश के विकास मॉडल और मोदी फैक्टर का फायदा मिल रहा है. वहीं महागठबंधन स्थानीय चेहरों और जातीय समीकरणों के भरोसे मैदान में है. कुल मिलाकर दरभंगा में समीकरण तो बदले हैं, लेकिन सत्ता का झुकाव एनडीए की ओर बरकरार है.