Early signs of kidney failure: किडनी हमारे शरीर का वह हिस्सा हैं जो चुपचाप दिन-रात काम करते रहते हैं. ये शरीर से जहरीले तत्व और अतिरिक्त पानी बाहर निकालते हैं, ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करते हैं और मिनरल्स का संतुलन बनाए रखते हैं. लेकिन जब किडनी ठीक से काम करना बंद कर देती है, तो शरीर कई संकेत देता है. जिन्हें अगर समय रहते न समझा जाए, तो यह गंभीर बीमारी का रूप ले सकती है. दुनिया की करीब 10 प्रतिशत आबादी किसी न किसी तरह की किडनी समस्या से जूझ रही है और हर साल लाखों लोगों की मौत इसी कारण होती है. चलिए आपको बताते हैं कि इसके कौन से लक्षण दिखाई देते हैं. कौन से दिखते हैं लक्षण? किडनी की परेशानी की शुरुआत अक्सर बहुत मामूली लक्षणों से होती है, लेकिन इन्हें नजरअंदाज करना भारी पड़ सकता है. अगर शरीर में लगातार थकान बनी रहती है, पैरों या आंखों के नीचे सूजन दिखती है, यूरिन का रंग या मात्रा बदल जाती है, सांस लेने में दिक्कत होती है या त्वचा रूखी और खुजलीदार महसूस होती है, तो यह संकेत हो सकता है कि आपकी किडनी कमजोर हो रही है. लगातार थकान या कमजोरी इस बात का संकेत हो सकती है कि शरीर में टॉक्सिन्स जमा हो रहे हैं और किडनी उन्हें ठीक से बाहर नहीं निकाल पा रही. अगर भरपूर नींद लेने के बाद भी थकान महसूस होती है, तो इसे हल्के में न लें और डॉक्टर से जांच करवाएं. शरीर में सूजन भी एक बड़ा संकेत है. जब किडनी अतिरिक्त तरल पदार्थ नहीं निकाल पाती, तो वह शरीर के हिस्सों में जमा होने लगता है. इसका असर सबसे पहले पैरों, हाथों या चेहरे पर दिखता है. इसे मेडिकल भाषा में एडेमा कहा जाता है. यूरिन में बदलाव किडनी की समस्या का सबसे साफ़ संकेत होता है. पेशाब का रंग गहरा होना, उसमें झाग या बुलबुले दिखना, बार-बार पेशाब लगना या जलन महसूस होना.ये लक्षण बता सकते हैं कि किडनी में कुछ गड़बड़ है. सांस फूलना या सांस लेने में परेशानी भी किडनी फेलियर का एक छिपा हुआ संकेत है. जब किडनी शरीर से अतिरिक्त तरल नहीं निकाल पाती, तो वही फ्लूइड फेफड़ों तक पहुंच जाता है और सांस लेना मुश्किल कर देता है. कई बार लोग इसे हार्ट या लंग्स की बीमारी समझ लेते हैं, जबकि असली वजह किडनी होती है. रूखी और खुजलीदार त्वचा इस बात का संकेत है कि किडनी खून से जरूरी मिनरल्स और अपशिष्ट पदार्थों को फिल्टर नहीं कर पा रही. इससे शरीर में मिनरल असंतुलन हो जाता है, जो स्किन को सूखा और खुजलीदार बना देता है. ये स्थिति अक्सर किडनी रोग के बढ़े हुए चरण में देखी जाती है. डॉक्टर से संपर्क करने की जरूरत कब? अगर आपको इनमें से कोई भी लक्षण महसूस हो, तो देर न करें और डॉक्टर से सलाह लें. शुरुआती पहचान से न सिर्फ बीमारी को रोका जा सकता है, बल्कि किडनी की कार्यक्षमता भी काफी हद तक बचाई जा सकती है. किडनी को स्वस्थ रखने के लिए सबसे जरूरी है संतुलित और हेल्दी डाइट. खाने में नमक कम करें, क्योंकि ज्यादा सोडियम ब्लड प्रेशर बढ़ाता है और किडनी को नुकसान पहुंचा सकता है. ऐसे फल और सब्जियां खाएं जिनमें पोटैशियम कम हो जैसे सेब, बेरीज़, अंगूर, फूलगोभी, पत्ता गोभी और शिमला मिर्च. इनमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट सूजन को कम करते हैं और किडनी पर दबाव घटाते हैं. प्रोटीन के लिए हमेशा हल्के स्रोत चुनें जैसे मछली, दालें या अंडे का सफेद भाग. रेड मीट और प्रोसेस्ड फूड से परहेज करें क्योंकि इनमें मौजूद प्रिज़रवेटिव्स किडनी को ज़्यादा काम करने पर मजबूर करते हैं. इसके साथ-साथ, दवाइयों का अत्यधिक सेवन, खासकर पेनकिलर्स का, किडनी को नुकसान पहुंचा सकता है. डॉक्टर की सलाह के बिना दर्द निवारक दवाएं बार-बार न लें. इसे भी पढ़ें: What is CRP Test: किन-किन बीमारियों का पता बताता है CRP Test, किस उम्र में इसे कराना जरूरी? Disclaimer: यह जानकारी रिसर्च स्टडीज और विशेषज्ञों की राय पर आधारित है. इसे मेडिकल सलाह का विकल्प न मानें. किसी भी नई गतिविधि या व्यायाम को अपनाने से पहले अपने डॉक्टर या संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें. Check out below Health Tools-Calculate Your Body Mass Index ( BMI )Calculate The Age Through Age Calculator