नालंदा जिले की सियासत इस बार एक बार फिर से नीतीश कुमार के गढ़ में एनडीए के पक्ष में जाती दिख रही है. एबीपी लाइव के एक्सपर्ट एग्जिट पोल 2025 के मुताबिक, जिले की 7 सीटों में से 6 सीटों पर एनडीए को बढ़त मिलती दिख रही है, जबकि महागठबंधन सिर्फ एक सीट पर पकड़ बनाए हुए है. बिहार शरीफ में डॉ. सुनील कुमार की जीत तय मानी जा रही बिहार शरीफ विधानसभा सीट से इस बार बीजेपी उम्मीदवार डॉ. सुनील कुमार भारी बहुमत से जीतते नजर आ रहे हैं. वरिष्ठ पत्रकार राज कुमार मिश्रा ने बताया कि इस सीट पर एनडीए उम्मीदवार के खिलाफ कोई खास टक्कर नहीं है. उन्होंने कहा कि डॉ. सुनील बिहार शरीफ के ही मूल निवासी हैं, जबकि महागठबंधन की उम्मीदवार जिले के बाहर की रहने वाली हैं. ऐसे में स्थानीय लोग अपने ही प्रत्याशी को समर्थन दे रहे हैं. पत्रकार राज कुमार मिश्रा का कहना है कि न्यूज कवरेज के दौरान कई ग्रामीणों ने भी यही कहा कि वे बाहरी उम्मीदवार को वोट नहीं देंगे, क्योंकि चुनाव जीतने के बाद ऐसे उम्मीदवार दोबारा इलाके में नहीं दिखते. इसीलिए इस बार एनडीए की जीत लगभग तय मानी जा रही है. मुस्लिम उम्मीदवार का दांव नहीं चला पत्रकार मोहम्मद महमूद आलम ने बताया कि बिहार शरीफ विधानसभा में मुस्लिम आबादी काफी है, इसी को ध्यान में रखते हुए महागठबंधन ने मुस्लिम उम्मीदवार को उतारा था. लेकिन यह रणनीति सफल नहीं हो पाई. आलम के मुताबिक, बीजेपी की यह सीट पहले से ही सीटिंग सीट है. महागठबंधन की उम्मीदवार ने चुनाव से पहले जनता के बीच जाकर जुड़ाव नहीं बनाया. अगर वो पहले से प्रचार और मुलाकात करतीं, तो कुछ असर दिख सकता था, लेकिन अब हालात एनडीए के पक्ष में हैं. नालंदा जिले के वरिष्ठ पत्रकार ऋषिकेश कुमार का कहना है कि इस बार जिले की 7 में से 6 सीटों पर एनडीए और 1 सीट पर महागठबंधन की जीत होगी. उनके मुताबिक बिहार शरीफ में एनडीए उम्मीदवार डॉ. सुनील कुमार की जीत तय है. वहीं इस्लामपुर में जेडीयू के रोहेल रंजन को जनता का साथ मिल रहा है. उनके पिता स्वर्गीय राजीव रंजन जेडीयू के वरिष्ठ नेता रहे हैं, जिससे सहानुभूति और पारिवारिक छवि दोनों का फायदा मिलेगा. नालंदा में जेडीयू और कांग्रेस के बीच कड़ी टक्कर है. कांग्रेस उम्मीदवार कौशलेंद्र कुमार “छोटे मुखिया” लगातार श्रवण कुमार के खिलाफ मैदान में उतरते रहे हैं. इस बार भी उन्होंने कड़ी टक्कर दी है, लेकिन जीत श्रवण कुमार की ही मानी जा रही है, हालांकि वोट का अंतर कम रहेगा. हरनौत सीट हमेशा से नीतीश कुमार का गढ़ रही है. यहां से जेडीयू उम्मीदवार हरि नारायण सिंह की जीत लगभग पक्की है. महागठबंधन ने भले स्थानीय उम्मीदवार उतारा हो, लेकिन वो जनता के बीच सक्रिय नहीं रहे हैं. जातीय समीकरण और नीतीश की छवि यहां एनडीए को फायदा दे रही है. नालंदा में काम करता दिख रहा नीतीश फैक्टर नालंदा, जो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का गृह जिला है, वहां एक बार फिर एनडीए की लहर दिख रही है. चाहे बिहार शरीफ हो, हरनौत या इस्लामपुर हर जगह जेडीयू और बीजेपी के उम्मीदवार स्थानीय स्तर पर मजबूत पकड़ बनाए हुए हैं. ग्रामीण इलाकों में लोगों का कहना है कि भले सरकार में नाराजगी हो, लेकिन नीतीश का इलाका छोड़ने का मन नहीं करता. यही कारण है कि एनडीए इस बार भी यहां बढ़त बनाए हुए है. कुल मिलाकर नालंदा में एनडीए की मजबूत स्थिति एबीपी बिहार एक्सपर्ट एग्जिट पोल के अनुसार ये नतीजे आ सकते हैं. कुल सीटें: 7एनडीए: 6महागठबंधन: 1