Refined flour health risks: क्या मैदा खाने से हो जाता है कैंसर, जानें चेतावनी क्यों दे रहे हैं एक्सपर्ट?


मैदा गेहूं के आटे से उसका फाइबर और पोषक तत्व निकालकर बनाया जाता है. इसमें न तो विटामिन्स बचते हैं और न ही मिनरल्स. यानी ये सिर्फ कैलोरी देता है, पोषण नहीं. यही वजह है कि इसे “empty calories” कहा जाता है.

एक्सपर्ट्स के अनुसार, बार-बार मैदा खाने से ब्लड शुगर तेजी से बढ़ता है. इससे इंसुलिन रेजिस्टेंस होता है और टाइप-2 डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है. लगातार हाई इंसुलिन लेवल शरीर में सूजन और ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को बढ़ाता है.

यही सूजन लंबे समय में सेल्स को नुकसान पहुंचाती है. रिसर्च बताती है कि लगातार इंफ्लेमेशन रहने से कैंसर सेल्स के बढ़ने का खतरा भी बढ़ सकता है, खासकर कोलन और ब्रेस्ट कैंसर में.

मैदा में अक्सर ब्लीचिंग एजेंट्स जैसे बेंजॉइल पेरॉक्साइड का इस्तेमाल किया जाता है, जिससे इसका रंग सफेद बनता है. ये केमिकल्स शरीर के लिए हानिकारक माने जाते हैं और लीवर पर असर डाल सकते हैं.

ज्यादा मैदा खाने से पेट की समस्याएं भी बढ़ती हैं, जैसे गैस, कब्ज और पेट फूलना. क्योंकि इसमें फाइबर नहीं होता, आंतों की गति धीमी पड़ जाती है.

एक्सपर्ट्स का कहना है कि पूरी तरह से मैदा छोड़ना जरूरी नहीं, लेकिन इसकी मात्रा सीमित रखें. कोशिश करें कि रिफाइंड फ्लोर की जगह गेहूं, ज्वार या बाजरे का आटा इस्तेमाल करें.

संतुलित डाइट, फाइबर युक्त अनाज और ताजे फल-सब्जियां खाने से शरीर स्वस्थ रहता है और कैंसर जैसी बीमारियों का खतरा भी घटता है.
Published at : 02 Nov 2025 11:13 AM (IST)



