डायपर पहनाने से बच्चे की किडनी को खतरा, चाइल्ड स्पेशलिस्ट ने दिए जरूरी टिप्स


चाइल्ड स्पेशलिस्ट के अनुसार, यह दावा पूरी तरह गलत है. डायपर पहनाने से बच्चे की किडनी पर कोई असर नहीं पड़ता है. डायपर का काम सिर्फ बच्चे के टॉयलेट को सोखना होता है ताकि बच्चा गीलेपन से परेशान न हो. किडनी शरीर के अंदर होती है और उसका काम ब्लड को फिल्टर करना है. इसलिए डायपर से किडनी को कोई नुकसान नहीं पहुंचता है.

अगर बच्चा लंबे समय तक गीला डायपर पहने रहता है, तो उसकी स्किन में रैशेज, खुजली या इंफेक्शन हो सकता है. गीले डायपर में बैक्टीरिया बढ़ने लगते हैं, जो बच्चे के पेशाब के रास्ते तक पहुंच सकते हैं. कभी-कभी यही बैक्टीरिया यूटीआई का कारण बनते हैं. हालांकि यूटीआई भी ज्यादातर मामलों में ठीक हो जाता है, यह किडनी फेल जैसी गंभीर समस्या नहीं बनता है. इसलिए जरूरी है कि डायपर समय पर बदला जाए.

एक्सपर्ट्स की सलाह है कि दिन में हर 3 से 4 घंटे में डायपर बदलना चाहिए, भले ही वह ज्यादा गीला न दिखे. अगर बच्चा पोटी कर दे, तो तुरंत डायपर बदलें, क्योंकि गंदगी से इंफेक्शन होने का खतरा बढ़ जाता है. साफ-सफाई बनाए रखना बच्चे की हेल्थ के लिए सबसे जरूरी है.

डायपर बदलने के बाद बच्चे की स्किन को बेबी वाइप्स या गुनगुने पानी से साफ करें. इसके बाद स्किन को कुछ सेकंड तक खुला छोड़ दें ताकि वह सूख जाए. अगर जरूरत हो, तो हल्की बेबी क्रीम या रैश क्रीम लगा सकते हैं जिससे स्किन सॉफ्ट और सुरक्षित रहे.

बच्चे की नींद और आराम के लिए यह जरूरी है कि रात में उसे एक फ्रेश डायपर पहनाया जाए. रात में बच्चा ज्यादा देर तक सोता है, इसलिए गीला डायपर परेशानी या स्किन इंफेक्शन का कारण बन सकता है. फ्रेश डायपर से बच्चा चैन से सो पाएगा और स्किन भी हेल्दी रहेगी.

दिन में कुछ घंटों के लिए बच्चे को डायपर न पहनाएं. इससे बच्चे की स्किन को सांस लेने का मौका मिलता है और स्किन रैशेज की संभावना कम होती है. आप बच्चे को सूती कपड़े या नैपी में रख सकते हैं ताकि वह आराम से हिल-डुल सके.

आजकल मार्केट में क्लॉथ डायपर या ऑर्गेनिक कॉटन डायपर भी अवेलेबल हैं.ये दोबारा यूज किए जा सकते हैं, पर्यावरण के लिए भी बेहतर हैं और बच्चे की स्किन के लिए मुलायम रहते हैं. अगर आप केमिकल डायपर से बचना चाहते हैं, तो यह एक अच्छा ऑप्शन है.
Published at : 01 Nov 2025 08:16 PM (IST)



